भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निस्तारण को लेकर उठ रही चिंताओं पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने गुरुवार को स्पष्ट किया कि इस रासायनिक कचरे के निष्पादन का काम वैज्ञानिक तरीके से और सभी मानकों का पालन करते हुए किया जा रहा है।
सीएम ने कहा, “यह कचरा 40 वर्षों से भोपाल में पड़ा हुआ था और वहां के लोग इसके साथ जीने को मजबूर थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार और वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर ही इसे जलाने का फैसला लिया गया है। इस प्रक्रिया से न पर्यावरण को नुकसान होगा और न ही भूजल प्रभावित होगा।”
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशानुसार कार्रवाई
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि अगस्त 2015 में इस कचरे को जलाने का ट्रायल रन किया गया था। परीक्षण रिपोर्ट में पाया गया कि इस प्रक्रिया से वातावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। उसी रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को नष्ट करने के निर्देश दिए।
जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक में होगा समाधान
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विषय पर सभी शंकाओं को दूर करने के लिए आज शाम तीन बजे प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक करेंगे। “हमारे वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने सभी मानकों का पालन करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित है।”
कांग्रेस पर निशाना
कांग्रेस द्वारा उठाई जा रही आपत्तियों पर सीएम ने कहा, “कांग्रेस पीथमपुर को लेकर आवाज उठा रही है, लेकिन 40 वर्षों से भोपाल में पड़े इस कचरे पर चुप रही। यह राजनीति का विषय नहीं होना चाहिए। भोपाल के लोग इतने वर्षों तक इस कचरे के साथ रहने को मजबूर थे, जबकि कांग्रेस ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया।”
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि वैज्ञानिकों के अनुसार सेविन नेफथोल का जहरीलापन 25 साल के भीतर समाप्त हो जाता है। “इस घटना को 40 वर्ष हो चुके हैं। हम सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए यह कदम उठा रहे हैं। कचरे का सुरक्षित निष्पादन हमारी प्राथमिकता है।”
पर्यावरण और जनसुरक्षा सुनिश्चित
सीएम ने कहा कि इस प्रक्रिया से न तो पर्यावरण को नुकसान होगा और न ही भूजल प्रदूषित होगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार इस मामले में पूरी पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ रही है और जनता की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है।
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