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Char Dham Yatra 2022: खुल गए केदारनाथ धाम के कपाट, पीएम मोदी के नाम से की गई पहली पूजा; देखें Photos

ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान श्री केदारनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुक्रवार को खोल दिए गए। शुभ मुहूर्त के मुताबिक 6.25 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मंदिर के कपाट खोले गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा की गई। इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे। मंदिर को 10 क्विंटल फूलों से सजाया गया है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ मंदिर में दर्शन किए।

2 साल बाद श्रद्धालुओं के लिए खुले कपाट

सुबह केदारनाथ के प्रधान पुजारी आवास से आर्मी बैंड और स्थानीय वाद्य यंत्रों के साथ बाबा केदार की डोली को मंदिर परिसर की ओर लाया गया, जिसके बाद मंदिर के द्वार खोले गए। इससे पहले गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुल चुके हैं। वहीं, 8 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे।

केदारनाथ कपाट, चारधाम यात्रा 2022, आर्मी बैंड

बता दें कि, 2020 में कोरोना महामारी फैलने के बाद से यहां भक्तों को दर्शन की इजाजत नहीं थी। हर साल कपाट खुलते थी और बाबा की पूजा-आरती की जाती थी।

समाधि से बाहर आ गए बाबा

मान्यता के अनुसार, जगत कल्याण के लिए बाबा केदारनाथ 6 महीने समाधि में रहते हैं। मंदिर के कपाट बंद होने के अंतिम दिन चढ़ावे के बाद सवा क्विंटल भभूति चढ़ाई जाती है। कपाट खुलने के साथ ही बाबा केदार समाधि से जागते हैं और फिर भक्तों को दर्शन देते हैं।

एक दिन में कितने श्रद्धालुओं को अनुमति?

उत्तराखंड सरकार द्वारा तय की गई डेली लिमिट के मुताबिक, बद्रीनाथ में हर दिन 15 हजार, केदारनाथ में 12 हजार, गंगोत्री में 7 हजार और यमुनोत्री में 4 हजार तीर्थयात्री ही दर्शन करने जा पाएंगे। तीर्थयात्री उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिए पर्यटन विभाग द्वारा संचालित पोर्टल https://registrationandtouristcare.uk.gov.in पर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।

यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था, खान-पान और पार्किंग की पूरी व्यवस्था की है। श्रद्धालुओं को आगमन से पहले राज्य के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने का भी निर्देश दिया गया है।

किसने करवाया था मंदिर का निर्माण

ये मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। उत्तराखंड के चार धामों में केदारनाथ तीसरे नंबर पर है। मान्यता के अनुसार, महाभारत काल में यहां शिवजी ने पांडवों को बेल के रूप में दर्शन दिए थे। मान्यता है कि 8वीं-9वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर गौरीकुंड से करीब 16 किमी दूर और करीब 3,581 वर्ग मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

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