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इंदौर बावड़ी हादसा : बेलेश्वर मंदिर तोड़े जाने से नाराज हिंदूवादी संगठन के कायकर्ता, ज्ञापन देने कलेक्टर ऑफिस पहुंचे

इंदौर के श्री बेलेश्वर महादेव मंदिर में हुए बावड़ी हादसे के बाद मंदिर के अवैध निर्माण गिराने की कार्रवाई की गई, जिससे नाराज होकर हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ता, स्थानीय रहवासी ज्ञापन देने कलेक्टर ऑफिस पहुंच गए। रहवासियों में भारी आक्रोश है। एक दिन पहले हनुमान जन्मोत्सव पर स्थानीय लोगों द्वारा अधिकारियों को सद्बुद्धि देने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ किया गया था। बता दें कि बावड़ी हादसे में 36 लोगों की मौत हुई थी। जिसके बाद नगर निगम और जिला प्रशासन ने मंदिर को अवैध बताकर रिमूवल की कार्रवाई की थी।

कैसे हुई घटना

स्नेह नगर स्थित श्री बेलेश्वर महादेव मंदिर में यह हादसा गुरुवार सुबह उस वक्त हुआ, जब रामनवमी के चलते मंदिर में हवन-पूजन के साथ कन्या भोज चल राह था। इसी बीच अचानक बावड़ी धंसने से करीब 50 लोग इसमें गिर गए और अफरा-तफरी मच गई। मंदिर में मौजूद लोगों ने जैसे-तैसे कुछ लोगों को बाहर निकाला। हादसे के बाद भी बावड़ी के आसपास की जमीन लगातार धंसती रही। कुछ लोग किसी तरह निकाले गए, लेकिन ऊपर आते-आते वे जमीन में समा गए। इस हादसे में 36 लोगों की मौत हुई थी।

सीएम को देख फूटा लोगों का गुस्सा

जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्हें देखकर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और वह भड़क गए। लोगों ने सरकार के खिलाफ हाय-हाय और सीएम मुर्दाबाद के नारे लगाए। दरअसल, लोगों का यह गुस्सा प्रशासनिक व्यवस्थाओं को लेकर था। हर चीज में लेट लतीफी की गई, आर्मी भी लेट बुलाई, बचान के दौरान रस्से टूट गए, बावड़ी के पानी को खाली करने के लिए लाई गई मोटर फेल हो गई। जितना पानी निकाला जा रहा है, उतना ही पानी वापस आ जाता। सवाल यह उठता है की हादसे के कई घंटे बीत जाने के बाद भी इंदौर के पास इतने साधन नहीं थे कि बावड़ी में फंसे शवों को निकाला जा सके।

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20 साल पहले डली थी स्लैब

एप्पल अस्पताल में भर्ती मंदिर के पुजारी लक्ष्मीनारायण शर्मा ने बताया श्रीराम जी की आरती होने वाली थी। इसी दौरान हादसा हुआ। उन्होंने बताया कि मंदिर करीब 60 साल पुराना है। हादसे के वक्त मंदिर में 50 लोग थे। पंकज पटेल ने बताया कि हवन की पूर्णाहूति करने वाले थे कि एकदम से स्लैब बैठ गया। उन्होंने बताया कि पहले छोटा मंदिर था। करीब 20 साल पहले यह स्लैब डाला गया था। पीछे नए मंदिर का निर्माण हो रहा है। हादसे के वक्त मंदिर में 40 से 50 लोग थे।

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1972 में भी हुआ था हादसा

1972 में एक हादसा हुआ था, उस वक्त एक बच्चे की बावड़ी में डूबकर मौत हो गई थी। हालांकि, तब बावड़ी पर जाली भी नहीं थी। लेकिन इस पर स्लैब कब डाल दी गई, इस पर न तो जनता और न ही अधिकारियों का ध्यान गया। यहीं रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी बताते हैं कि 2000 तक इलाके में चार बावड़ी थीं। स्कीम नंबर 31 के सभी रहवासियों को इनसे पानी की आपूर्ति की जाती थी। लेकिन, वर्तमान में इन बावड़ियों पर राजनीतिक दबाव से मंदिर बना दिए गए हैं। कोडवानी कहते हैं कि राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते मंदिर निर्माण हुए हैं। नगर निगम या आईडीए ने बावड़ी पर स्लैब डलवाया। बावड़ी पर मंदिर निर्माण हुआ है। इसका किसी को नोटिस नहीं दिया गया।

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कुआं, बावड़ी जाली से ढंकने पर नियम

कोडवानी का कहना है कि इस प्रकार का कोई नियम नहीं है कि बावड़ी या कुएं पर स्लैब डाला जाए, क्योंकि उन्हें केवल जाली से ही ढंका जाता है। इस बावड़ी पर स्लैब किसने डाला है, वह बड़ा सवाल है। नगर निगम या प्राधिकरण दोनों एजेंसियों में से किसी ने इस पर स्लैब डाला तो वह दोनों ही एजेंसी में से एक एजेंसी दोषी मानी जाएगी।

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