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Alert! क्या दिमाग को वक्त से पहले बूढ़ा बना रहा कोरोना? नई स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना ने एक बार फिर कहर बरपाना शुरू कर दिया है। वहीं चीन संक्रमण की अब तक की सबसे खतरनाक लहर का सामना कर रहा है। इसी बीच कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और इंपीरियल कॉलेज के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा किया है।

कोरोना से 20 साल बूढ़ा हो सकता है दिमाग

इस स्टडी में दावा किया गया है कि, कोविड से आपके दिमाग पर भी गहरा असर पड़ सकता है। कोरोना का गंभीर संक्रमण मरीजों के दिमाग को 20 साल बूढ़ा बना सकता है। ये इंफेक्शन इतना खतरनाक होता है कि इसके असर से इंसान के IQ यानी Intelligence Quotient में भी गिरावट आती है।

कोरोना से संक्रमित मरीजों में संक्रमण के बाद भी थकान, शब्दों को याद करने में समस्या, नींद की समस्या, चिंता और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं।

हुआ था मेमोरी टेस्ट

रिसर्चर ने कोरोना के औसतन 51 साल की उम्र वाले 46 मरीजों के डेटा का अध्ययन किया है। ये सभी अस्पताल में भर्ती थे, इनमें से 16 को आईसीयू में भी रखा गया था। ये साल 2020 में कोरोना की चपेट में आए थे। इनमें से एक तिहाई लोगों को वेंटिलेटर पर भी रखा गया था। इन मरीजों के संक्रमण के 6 महीने बाद कॉग्निट्रॉन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर टेस्ट कराए गए। ये टेस्ट मेमोरी, ध्यान और तर्क जैसे मानसिक पहलुओं को मापने वाले थे। साथ ही उनकी एंग्जाइटी, डिप्रेशन और पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) का भी आकलन किया गया। आईसीयू में भर्ती मरीजों पर कोरोना का असर ज्यादा देखने को मिला।

कोरोना मरीजों का IQ 10 पॉइंट्स नीचे गिरा

वैज्ञानिकों ने रिसर्च में 66,000 नॉर्मल लोगों को भी शामिल किया था। नतीजों में पाया गया कि नॉर्मल लोगों की तुलना में कोरोना मरीजों का रिस्पॉन्स टाइम काफी स्लो था और कई जवाब गलत थे। ICU में भर्ती मरीज के दिमाग पर यह असर ज्यादा देखा गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना से मरीज का IQ Level 10 Point तक गिर सकता है। IQ को बुद्धि क्षमता या Human Intelligence का मानक कहते हैं। रिसर्च ये भी दावा करती है कि कोरोना संक्रमण एक स्थाई संज्ञानात्मक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

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माइल्ड इन्फेक्शन भी रहें सावधान

रिसर्चर्स के अनुसार, इन कोरोना मरीजों का दिमाग लगभग 20 साल बूढ़ा हो गया है। इसके चलते उनमें समय से पहले ही डिमेन्शिया (भूलने की बीमारी) समेत कई तरह के न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स होने की संभावना ज्यादा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, जिन मरीजों को कोरोना का माइल्ड इन्फेक्शन हो चुका है, उनके दिमाग पर भी इस तरह के प्रभाव देखे जा सकते हैं। हालांकि, उनके दिमाग की समस्याएं बहुत मामूली होती हैं।

इससे पहले भी वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस और दिमाग के बीच के कनेक्शन को ढूंढने के लिए कई शोध किए हैं। इनमें ब्रेन फॉग और भूलने के बीमारी से लेकर दिमाग में खून के थक्के जमने तक, हर समस्या को उजागर किया गया।

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