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गोशालाओं में राजनीति, सड़कों पर गो-वंश

बारिश में गो-माताओं की दर्द भरी कहानी... मालिकों ने घर से हांका, गोशालाओं में जगह नहीं

पुष्पेन्द्र सिंह-भोपाल। ‘शास्त्रों के अनुसार मैं गोमाता हूं। कहते हैं कि मुझमें सभी देवी- देवताओं का वास होता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जब-तब हमारी सेवा करते दिख भी जाते हैं। उन्होंने हम गायों की चिंता भी की है और सुना है हमें अब सड़कों पर आवारा बैठने से निजात मिलेगी। भगवान जाने, वह दिन कब आएगा बारिश में हमारे मालिकों ने घर से निकाल दिया है। सरकार ने गोशालाएं बनाई हैं, लेकिन यहां बहुत भीड़ है। लिहाजा सड़कों को ही अपना ठौर बना लिया है।’

ये कहानी प्रदेशभर की उन गोमाताओं की है जो अभी सड़कों पर हैं। मनरेगा के सीईओ चैतन्य कृष्ण ने बताया कि मुख्यमंत्री गो सेवा योजना में 2,665 गोशालाएं बन चुकी हैं, 382 बन रही हैं। गोसंवर्धन बोर्ड के अनुसार 2,151 गोशालाएं हैं। इनकी क्षमता 2.78 लाख है। अगर पशु संगणना-2019 पर नजर डालें तो प्रदेश में करीब 8.53 लाख आवारा पशु हैं।

गोशालाएं बन गईं फायदे का सौदा

जानकार बताते हैं कि प्रदेश के अधिकांश गोशालाएं सरपंचों और नेताओं के हाथों में हैं। क्योंकि इसे फायदे का सौदा माना जाने लगा है। इनमें से एक सीहोर जिले के आष्टा ब्लॉकअंतर्गत ग्राम पंचायत डोडी में संचालित आदर्श गोशाला है जिसे सरपंच ने महिलाओं के हाथों से छीन लिया है।

इस कारण छोड़ते हैं मवेशी

  • खेती में काम आने वाले पशुओं का काम बंद होना।
  • पशुओं के लिए चारे और पानी की समुचित व्यवस्था नहीं होना।
  • प्रदेश में पर्याप्त गोशालाएं नहीं होने से पशु सड़कों पर बैठते हैं।
  • पशुपालक गायों का दूध बंद होते ही आवारा छोड़ देते हैं।

गोशाला में ऐसे पनपा भ्रष्टाचार

  • गायों की कथित फर्जी संख्या बढ़ाकर अनुदान राशि ली जाने लगी।
  • गायों के लिए आने वाला भोजन रातों रात दुकानों में पहुंच जाता है।
  • पशु चिकित्सक से सांठगांठ कर गायों की संख्या बढ़ा दी जाती है।
  • गर्मियों में चारा-पानी नहीं मिलने से कई बछड़ा-बछियों की मौत भी हुई।

सीहोर जिले की डोडी गोशाला के उदाहरण से समझिए राजनीति

                                  सरपंच ने हथियाई गोशाला

आदर्श गोशाला डोडी में 150 से ज्यादा गायों के रखने की क्षमता है। ग्राम पंचायत ने संचालन की शुरुआत की थी। चूंकि शासन की मंशा महिलाओं को आर्थिक संपन्न बनाना है, इसलिए गोशाला की जिम्मेदारी लक्ष्मी आजीविका स्व सहायता समूह को दे दी गई। कुछ दिन बाद नव निर्वाचित सरपंच नरेन्द्र सिसोदिया ने समूह अध्यक्ष रेखा मालवीय से गोशाला ले ली। दस्तावेज भी हैं कि संचालन की जिम्मेदारी सरपंच पर होगी। महिलाओं ने अधिकारियों सूचना दी लेकिन किसी ने हस्तक्षेप नहीं किया। बताते हैं कि सरपंच पर स्थानीय विधायक का हाथ है।

…और कलेक्टर ने कराई जांच

सीहोर के कलेक्टर प्रवीण सिंह ने 12 जुलाई को जिले से एक जांच समिति भेजी। जांच समिति गोशाला पहुंचती इसके पहले सरपंच को भनक लग गई। आनन-फानन में सड़कों पर बैठी गायों को गोशाला पहुंचाया गया। जांच समिति ने सरपंच और महिला समूह की अध्यक्ष आदि के बयान दर्ज किए।

फिर सरपंच और पूर्व सरपंच में मारपीट: वर्तमान सरपंच को आशंका हुई कि पूर्व सरपंच ने शिकायत की है। दोनों में मारपीट। पूर्व सरपंच पर मामला दर्ज।

दस दिन बाद वसूली के नोटिस : 24 जुलाई को पूर्व सरपंच, सचिव, वर्तमान सरपंच और सचिव सहित महिला समूह की अध्यक्ष को 10 लाख वसूली के नोटिस मिले।

दोनों के अपने-अपने पक्ष

वर्तमान सरपंच ने गोशाला का संचालन हमसे ले लिया है। लिखित में भी है। अफसरों को पूर्व में सूचना दी थी फिर हमें वसूली का नोटिस क्यों दिया? -रेखा मालवीय, समूहअघ्यक्ष,

लक्ष्मी आजीविका स्व सहायता समूह गोशाला का संचालन नहीं कर पा रहा था, जिससे हमने अपने हाथों में संचालन ले लिया। वर्तमान में 160 से ज्यादा गोशालाएं हैं। कोई अनियमितताएं नहीं हैं। -नरेन्द्र सिसोदिया, सरपंच डोडी

गोशाला की जांच कराई है

गोशाला की जांच कराई है। फिलहाल अवकाश पर हूं। वसूली नोटिस दिए जाने की जानकारी नहीं है। सोमवार को पता करता हूं। -प्रवीण सिंह,कलेक्टर सीहोर

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