
भोपाल/श्योपुर। चीतों की लगातार हो रही मौतों के कारण मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क सुर्खियों में बना हुआ है। कूनो में अब तक 6 चीतों और 3 शावकों की मौत हो चुकी है। हाल ही में नामीबिया से लाई गई मादा चीता तिब्लिसी (धात्री) की मौत हो गई। दो दिन से उसकी लोकेशन नहीं मिल रही थी। कूनो के बाहरी क्षेत्र में शव मिलने की खबर है। बता दें कि, पिछले 130 दिनों में 9 की मौत हो चुकी है।
अब तक 6 चीते और तीन शावक की मौत
कूनो नेशनल पार्क में अब तक दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए कुल 20 चीतों में से अब तक यह 9 वीं मौत है। इसके अलावा यहां पैदा हुए 5 शावक में से तीन शावक भी दम तोड़ चुके हैं।
#बिग_ब्रेकिंग : #कूनो में #चीतों की मौत का सिलसिला जारी, #नामीबिया से लाई गई मादा चीता #तिब्लिसी (धात्री) की मौत; 2 दिन से नहीं मिल रही थी लोकेशन, 130 दिनों में 9 ने तोड़ा दम @KunoNationalPrk @CMMadhyaPradesh @PMOIndia @minforestmp @CCFCheetah #Cheetah #MPNews #PeoplesUpdate pic.twitter.com/no0TrGpMAd
— Peoples Samachar (@psamachar1) August 2, 2023
जानें कब-कब हुई मौतें
- सबसे पहले 27 मार्च 2023 को मादा चीता साशा की मौत हुई थी। साशा की मौत किडनी इन्फेक्शन से हुई।
- 23 अप्रैल 2023 को साउथ अफ्रीका से लाए गए नर चीता उदय की मौत हुई थी।
- 9 मई 2023 को मादा चीता दक्षा की मेटिंग के दौरान मौत हो गई थी। दक्षा को दक्षिण अफ्रीका से कूनो लाया गया था।
- 23 मई 2023 को मादा चीता ज्वाला के एक शावक की मौत हो गई।
- 25 मई 2023 को मादा चीता ज्वाला के दो और शावकों ने दम तोड़ दिया था।
- 11 जुलाई 2023 को एक और चीते तेजस की मौत हो गई।
- 14 जुलाई 2023 को चीते सूरज की मौत हो गई।
- 2 अगस्त 2023 को मादा चीता तिब्लिसी (धात्री) की मौत हो गई।
नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए चीते
भारत में चीतों की आबादी को फिर से बसाने के लिए 8 चीतों को नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क लाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को इन्हे विशेष बाड़ों में छोड़ा। इनमें 5 मादा और 3 नर चीते शामिल थे। इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते (7 नर और 5 मादा) कूनो नेशनल पार्क में लाए गए थे।
कूनो में चार शावकों के जन्म के बाद चीतों की कुल संख्या 24 हो गई थी, लेकिन 9 मौतों के बाद यह संख्या घटकर 15 रह गई है। इससे पहले भारत में चीतों को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
ये हुईं बड़ी चूक
- चीतों को मैदानी जंगल में रहने की आदत है। घने जंगलों में उसे शिकार करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इलाके में चीतों के साथ तेंदुए और बाघों की मौजूदगी परेशानी का विषय है।
- तेंदुआ घात लगाकर शिकार करने का आदी है और बारिश के बाद जंगल में चीता को तेंदुए से इलाके के वर्चस्व की लड़ाई में बचना टेढ़ी खीर साबित होगा।
- सैलानियों को चीता दिखाने और लोकल शिकारियों से बचाने के लिए चीता मित्रों को तैयार किया गया। उन्हें चीता दिखाने के लिए विशेष ट्रेनिंग ही नहीं दी गई है।
- प्रोजेक्ट को लीड कर रहे वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट एसएस झाला ने नामीबिया से चीतों को लाते वक्त ही अथॉरिटी को मेल किया था कि कुछ चीते वाइल्ड ना होकर कैप्टीविटी के हैं, जिनका सर्वाइवल रेट बहुत कम होगा।
- चीता प्रोजेक्ट में शामिल वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट झाला के बाद सीसीएफ जसवीर सिंह चौहान दोनों को ही हटा दिया गया।