राष्ट्रीय

बिहार: चंपारण में तोड़ी महात्मा गांधी की मूर्ति; बापू ने यही से फूंका था सत्याग्रह आंदोलन का बिगुल

बिहार के चंपारण में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति तोड़ने की खबर ने सनसनी फैला दी है। बता दें कि नगर थाना से करीब 200 मीटर दूर स्थित चरखा पार्क में गांधी जी की प्रतिमा लगी हुई थी। महात्मा गांधी ने जिस चंपारण से अपना सत्याग्रह शुरू किया था, वहीं पर अब उनकी प्रतिमा तोड़ कर फेंक दी गई है। वहीं इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है।

चंपारण में क्षतिग्रस्त की गई बापू की मूर्ति।

पुलिस ने मूर्ति के अवशेष को किया संरक्षित

बिहार पुलिस के मुताबिक बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में एक पार्क में स्थापित महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा सोमवार सुबह क्षतिग्रस्त पाई गई है। मिली जानकारी के अनुसार नगर थाना क्षेत्र के चरखा पार्क के अंदर कुछ स्थानीय लोगों ने मूर्ति को उखाड़ दिया और कुछ मीटर दूर फेंक दिया। जब स्थानीय लोगों ने मूर्ति को क्षतिग्रस्त देखा तो पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने टूटी हुई मूर्ति के अवशेष को संरक्षित करके अपने पास रख लिया है।

मूर्ति तोड़ने वाला शख्स गिरफ्तार

जानकारी के अनुसार, चरखा पार्क में बापू के चंपारण सत्याग्रह की शताब्दी पर इस मूर्ति को स्थापित किया गया था। पूर्वी चंपारण के पुलिस अधीक्षक डॉ. कुमार आशीष ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि इस घटना में शामिल आरोपी व्यक्ति गिरफ्तार कर लिया है। मूर्ति तोड़ने वाला शख्स नशे में था। मूर्ति तोड़ने वाले लड़के का कहना है कि वो नशे में था और उसने व्हाइटनर का सेवन किया था।

बापू ने किया था चंपारण से सत्याग्रह

अंग्रेजों के खिलाफ गांधीजी ने कई आंदोलन किए थे। उन्हीं आंदोलन में से एक है चंपारण सत्याग्रह। गांधीजी ने 1917 में पहली बार अंग्रेजों के खिलाफ बिहार के चंपारण बिगुल फूंकी थी। ये अंग्रेजों द्वारा नील के खेती के लिए किसानों के दमन के खिलाफ थी। चंपारण में किसानों से जबरदस्ती नील की खेती करवाई जाती थी। किसान इससे परेशान थे क्योंकि उनकी जमीन खराब हो रही थी। गांधीजी ने यहां के लोगों को शिक्षित करने के लिए स्कूल भी खुलवाया था। महिलाओं की शिक्षा और उनसे भेदभाव के लिए भी गांधीजी ने कई कार्यक्रम चलाए।

संबंधित खबरें...

Back to top button