
भोपाल। डेयरी सहकारी समिति (डीसीएस) और मिल्क पुलिंग प्वाइंट्स (एमपीपी) के जरिए प्रदेश में दुग्ध क्रांति को गति दी जाएगी। इसके लिए केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम 2.0 लांच की है, किसानों को इसे जोड़ने, मिल्क विक्रेताओं की चेन बनाने, डी- फ्रीजर और किसानों को अच्छे नस्ल के दुधारू पशु उपलब्ध कराने पर काम किया जाएगा। इसके साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए बाजार दर पर दूध के दाम बढ़ाने पर भी काम होगा।
किसानों की समितियां बनेंगी
गांव- गांव में दूध उत्पादन किसानों की समितियां बनाई जाएगी। समितियां किसानों को दूध से जुड़े उपकरण, गाय-भैंस खरीदने के लिए अनुदान देने और किसानों के पास से दूध लेकर उसे प्लांट तक पहुंचाने का काम करेगी। इसके लिए समितियां गांव में जन जागरुकता बढ़ाने का भी काम करेंगी। इनमें चुनाव भी होगा, जो अपने अनुसार से निर्णय ले सकेंगे।
इंदौर में पायलेट प्रोजेक्ट
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड एनडीडीबी ने इंदौर के गांव में डेयरी सहकारी समिति बनाकर दूध संग्रह करने की योजना पायलेट प्रोजेक्ट के तहत लागू किया है। सफलता के बाद व्यवस्था सभी जगह लागू होगी।
प्रति वर्ष बढ़ेंगी डीसीएस
प्रदेश में प्रति वर्ष डीसीएस की संख्या 500 से ज्यादा बढ़ाई जाएगी। दस पंचायतों को मिलकर एक डीसीएस बनाई जाएगी। प्रदेश में 55 हजार से अधिक गांव हैं। इसमें बड़े से लेकर छोटे किसानों को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। सुबह और शाम दोनों समय से दूध खरीदने की व्यवस्था की जाएगी। अगर दूध को केन्द्र तक पहुंचाने में समय लगता है तो उसे फ्रीजर में रखा जाएगा। वहीं इसके फैट निकालने और जांचने की भी मशीन समितियों को मिलेगी।
दूध उत्पादों की ब्रांडिंग
सरकार प्रदेश में बनाए जा रहे दूधों से उत्पादों की ब्रांडिंग करेगा। बाजार की मांग के अनुसार दूध से बनने वाले नए नए उत्पादों को तैयार कर उसकी देश और विदेशों में सप्लाई की जाएगी। इसके ब्रांड बनाने का कमा एनडीडीबी करेगा।
प्रदेश में दुग्ध क्रांति पर काम किया जा रहा है। इसमें दूध उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ दूध उत्पादन समितियां बनाने और किसानों को दूध का उचित दाम दिलाने के लिए काम शुरू कर दिया गया है। -लखन पटेल, मंत्री, पशुपालन एवं डेयरी विकास