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हिंदू देवी-देवताओं पर बोलीं JNU वीसी- ‘देवता ऊंची जाति के नहीं होते, भगवान शिव शूद्र हैं…’ बयान पर घमासान शुरू

दिल्ली के जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी का कहना है कि हिंदू देवी-देवता ऊंची जाति के नहीं हैं। कुलपति ने देश में जाति-संबंधी हिंसा के बीच अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भगवान शिव भी SC/ST(शूद्र) के हो सकते हैं, क्योंकि वे श्मशान में बैठते हैं। मनुष्य जाति के विज्ञान के अनुसार देवता उच्च जाति के नहीं हैं।

कुलपति ने कहा- सभी महिलाएं शूद्र हैं

सोमवार को डॉ. बीआर अंबेडकर व्याख्यान श्रृंखला में डॉ. बी आर अंबेडकर के विचार जेंडर जस्टिस: डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड’ में व्याख्यान देते हुए कुलपति ने कहा कि ”मनुस्मृति में महिलाओं को शूद्रों का दर्जा दिया गया है।” मैं सभी महिलाओं को बता दूं कि ”मनुस्मृति के अनुसार सभी महिलाएं शूद्र हैं, इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है।”

नहीं लगता कि ब्राह्मण श्मशान में बैठ सकते हैं- कुलपति

नौ साल के दलित लड़के के साथ हाल ही में हुई जातीय हिंसा की घटना (राजस्थान के जालोर में) का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे कहा कि ‘‘कोई भी भगवान ऊंची जाति का नहीं है। आप में से अधिकांश को हमारे देवताओं की उत्पत्ति को मानव विज्ञान की दृष्टि से जानना चाहिए। भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होने चाहिए क्योंकि वह एक सांप के साथ एक श्मशान में बैठते हैं और उनके पास पहनने के लिए बहुत कम कपड़े हैं। मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण श्मशान में बैठ सकते हैं।’’

हम आलोचना से क्यों डरते हैं

कुलपति बोलीं कि माता लक्ष्मी, शक्ति यहां तक कि भगवान जगन्नाथ भी मनुष्य जाति के विज्ञान के अनुसार उच्च जाति से नहीं आते हैं। भगवान जगन्नाथ वास्तव में आदिवासी मूल से हैं, तो हम अभी भी इस भेदभाव को क्यों जारी रखे हुए हैं जो बहुत ही अमानवीय है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम बाबासाहेब के विचारों पर पुनर्विचार कर रहे हैं। हमारे यहां आधुनिक भारत का कोई नेता नहीं है जो इतना महान विचारक था।

उन्होंने कहा, “हिंदू धर्म एक धर्म नहीं है, यह जीवन का एक तरीका है और अगर यह जीवन का तरीका है तो हम आलोचना से क्यों डरते हैं।”

लोगों की भावना से खेलते हैं ऐसे बयान- हिंदू महासभा

हिंदू महासभा के अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज ने इस बयान को लेकर कहा कि, जिसकी जैसी भावना और सोच होती है, वह वैसे ही परमात्मा को देखता है। ऊपर वाले को…पालने वाले और संहार करने वाले को अगर आप जातियों में विभाजित करते हैं, तो यह आपकी संकीर्णता को दर्शाता है। ऐसा कर के कहीं न कहीं लोगों की भावना से खेला जाता है। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

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‘ऐसे बयान देने वाले न धर्म समझते, न समाज’

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इस मामले पर कहा- जो इस तरह की बयानबाजी करते हैं, वे न तो समाज को जानते हैं और न ही धर्म को समझते हैं। भगवान शिव पर या शिवलिंग पर जो भी बयान किए जा रहे हैं, वे गलत हैं। ऐसे लोग सियासी स्वार्थ को देखते हुए और मनुस्मृति को बिना पढ़े ही बयान दे देते हैं।

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