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ओबान के बाद मादा चीता आशा भी कूनो से बाहर निकली, वनकर्मी रख रहे हैं निगरानी; सुरक्षा इंतजाम बढ़ाए

श्योपुर। पिछले दिनों कूनो नेशनल पार्क के बाड़े से बाहर निकला नर चीता ओबान अभी तक पकड़ में नहीं आया हैं। इसी बीच ओबान चीते के बाद अब मादा चीता आशा भी कूनो पार्क से बाहर आ गई है। जिससे वन विभाग की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। चीतों की गर्दन में लगे रेडियो कॉलर से वनकर्मी हर पल उसकी लोकेशन ट्रेस कर रहे हैं। वहीं शिकारियों से चीतों को बचाने के लिए ट्रेंड डॉग की तैनाती की गई है।

आसपास के गांवों में घूमता दिखा ओबान

नर चीता ओबान को कूनो नेशनल पार्क से निकले चार दिन हो गए हैं। सोमवार से चीता आस-पास गांवों में घूम रहा है। बुधवार को ओबान की लोकेशन शिवपुरी के जंगल से सटे हुए पोहरी इलाके के सुमेड बैचाई गांव के पास मिल रही है। ओबान की गर्दन में लगे रेडियो कॉलर से उसकी लोकेशन ट्रेस कर रहे हैं। वन विभाग की टीम चीते को कूनो नेशनल पार्क में लाने के प्रयास कर रही हैं।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कूनो नेशनल पार्क से निकले चीता ओवान ने बुधवार सुबह चिंकारा का शिकार किया। इससे पहले उसने शनिवार रात गाय का शिकार किया था।

आशा के बाहर आने से ग्रामीणों में दहशत

आशा मादा चीता भी पार्क से बाहर निकल गई है। उसके आसपास वाले इलाके में पहुंचने से ग्रामीणों में दहशत बढ़ गई है। आशा की लोकेशन धौरेट सरकार के जंगल में है। जबकि ओवान की लोकेशन शिवपुरी जिले के पोहरी क्षेत्र के जंगल में है। कूनो से निकले दोनों चीतों के बीच का फासला अभी करीब 40 किलोमीटर बताया जा रहा है। पहली बार ओवान जिस झार बड़ौदा गांव में देखा गया था, वहां से आशा अभी करीब 9 किमी दूर है। कूनों के कर्मचारियों का कहना है कि रविवार को दोनों चीते धौरेट सरकार के जंगल में एक दूसरे के पास आए थे। तब इनके बीच की दूरी करीब 100 मीटर थी।

सुरक्षा के लिए इलू डॉग

कूनो नेशनल पार्क में चीतों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मंगलवार को पंचकूला से 7 महीने की स्पेशल ट्रेनिंग से फीमेल जर्मन शेफर्ड डॉग इलू को पार्क में लाया गया है। वन्यजीवों के शिकार करने वाले शिकारियों को पकड़ने में मदद करेगी। 11 माह की इलू डॉग अब कूनो नेशनल पार्क के जंगल में चप्पे-चप्पे पर नजर रखकर शिकारियों को आने से रोकेगी।

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साशा के किडनी और लिवर में था इन्फेक्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाए गए 8 चीतों में से करीब साढ़े चार वर्ष की मादा चीता ‘साशा’ नहीं रहीं। उसकी मौत की खबर 27 मार्च को सुबह वन अधिकारियों को मिली। साशा ढाई माह पहले किडनी में संक्रमण के चलते बीमार पड़ी थी। डॉक्टरों ने इलाज करते हुए उसे बेहतर स्थिति में बताया था। साशा कूनो में मात्र 192 दिन ही जीवित रह पाई। मादा चीता साशा के हेपेटोरेनल इन्फेक्शन यानी किडनी और लिवर का संक्रमण हो गया था। उसका इलाज भोपाल की मेडिकल टीम द्वारा किया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।

भारतीय भूमि पर जन्मे 4 शावक

मादा चीता ‘साशा’ की मौत हो गई थी। मादा चीता ‘साशा’ के अंतिम संस्कार के एक दिन बाद ही दूसरी मादा चीता ‘सियाया’ ने चार शावकों को जन्म दिया था। यह भारतीय भूमि पर 1947 के बाद जन्मे चीता के पहले चार शावक हैं।

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अब बचे केवल 19 चीते

साशा की मौत के साथ कूनो में चीतों की संख्या 19 हो गई है। इससे पहले 17 सितंबर को कूनो में 8 चीते नामीबिया से और 18 फरवरी को दक्षिण 12 चीते अफ्रीका से लाए गए थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने फरवरी में इन्हें बाड़े में रिलीज किया था। इसके बाद कूनो में चीतों की संख्या 20 हो गई थी।

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