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कूनो में मादा चीता साशा की मौत, पीएम मोदी ने 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर किया था रिलीज

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाए गए 8 चीतों में से करीब साढ़े चार वर्ष की मादा चीता ‘साशा’ नहीं रही। उसकी मौत की खबर सोमवार सुबह वन अधिकारियों को मिली। साशा ढाई माह पहले किडनी में संक्रमण के चलते बीमार पड़ी थी। डॉक्टरों ने इलाज करते हुए उसे बेहतर स्थिति में बताया था। साशा कूनो में मात्र 192 दिन ही जीवित रह पाई।

किडनी और लिवर में था इन्फेक्शन

श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से 8 चीतों को लाया गया था। इनमें पांच मादा और तीन नर चीते हैं। यह सभी पूरी तरह स्वस्थ होकर शिकार भी करने लगे थे। इसी बीच, मादा चीता साशा के बीमार होने की खबर सामने आई। उसे हेपेटोरेनल इन्फेक्शन यानी किडनी और लिवर का संक्रमण हो गया था। उसका इलाज भोपाल की मेडिकल टीम द्वारा किया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।

वन्यप्राणी अफसरों की टीम पहुंची कूनो

साशा की मौत की खबर लगते ही वन्यप्राणियों के वरिष्ठ अधिकारी कूनो नेशनल पार्क पहुंचे और मौत के कारणों का पता लगाया गया। अपर मुख्य सचिव वन जेएन कांसोटिया ने ‘पीपुल्स समाचार’ को बताया कि साशा तीन-चार माह से अस्वस्थ चल रही थी। उसके इलाज के सभी प्रयास किए गए। जनवरी में बीमार पड़ने पर उसका सफल इलाज भी किया गया। लेकिन, सोमवार को जंगल में उसकी मौत होने की जानकारी मिली। उन्होंने बताया कि मादा चीता की मौत के कारणों को पता करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रारंभिक तौर पर इस मौत को लेकर कोई अधिकारी जिम्मेदार नहीं है।

70 साल बाद देश में लाए गए थे 8 चीते

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर 17 सितंबर को देश में ऐतिहासिक चीता पुनरुत्पादन कार्यक्रम के हिस्से के रूप में नामीबिया की राजधानी विंडहोक से चीते लाए गए थे। चीतों ने 8 हजार किमी से अधिक की यात्रा तय की थी। देश में प्रजातियों को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद उन्हें कुनो नेशनल पार्क के 10 किमी में फैले एक बाड़े में छोड़ा गया। कूनो में ही दूसरे चरण में 12 और चीते लाए गए हैं।

गुर्दे की बीमारी भारत में आने से पहले थी

साशा की मौत पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। वन्यप्राणी विभाग द्वारा बताए गए कारणों से स्पष्ट होता है कि साशा नामीबिया से बीमार हालत में लाई गई थी। विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, साशा को कूनो में पहली बार 22 जनवरी को सुस्त पाया गया था। साशा को तत्काल क्वारेंटाइन बाड़े में लाकर उसके ब्लड की जांच कराई गई। तब उसके गुर्दों में संक्रमण पाया गया था। इसके बाद चीता कन्जर्वेशन फाउंडेशन नामीबिया से साशा की ट्रीटमेंट हिस्ट्री मंगाई गई। इससे पता चला कि 15 अगस्त, 2022 को नामीबिया में किए गए अंतिम खून के नमूने की जांच में भी क्रियेटिनिन का स्तर 400 से अधिक पाया गया था, जिससे यह पुष्टि भी होती है कि साशा को गुर्दे की बीमारी भारत में आने से पहले से ही थी। बताया गया कि 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों के साथ जो वेटरनरी विशेषज्ञों की टीम आई थी, उनसे भी साशा के स्वास्थ्य को लेकर चर्चा की गई थी।

एक ही कम्पार्टमेंट में करती थीं तीन मादा चीता शिकार

कूनो नेशनल पार्क लाए जाने के लगभग दो माह बाद तीन मादा चीता सवाना, साशा और सियाया को बड़े बाड़े में छोड़ा गया था। इन्हें कम्पार्टमेंट नंबर-5 में 28 नवंबर 2022 को एकसाथ रखा गया। तीनों मादा चीता एकसाथ कम्पार्टमेंट में शिकार भी कर रही थीं। इसके बाद जनवरी मध्य से साशा की तबियत बिगड़ती गई।

अब बचे केवल 19 चीते

साशा की मौत के साथ कूनो में चीतों की संख्या 19 हो गई है। इससे पहले 17 सितंबर को कूनो में 8 चीते नामीबिया से और 18 फरवरी को दक्षिण 12 चीते अफ्रीका से लाए गए थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने फरवरी में इन्हें बाड़े में रिलीज किया था। इसके बाद कूनो में चीतों की संख्या 20 हो गई थी।

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