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कतर ने 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की मौत की सजा पर लगाई रोक, भारत सरकार की अपील के बाद फैसला बदला

नई दिल्ली। कतर में कथित तौर पर जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किए गए 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी गई है। इस मामले में विदेश मंत्रालय ने अपील दाखिल की थी। जिसके बाद कतर की अदालत ने अपना फैसला बदला है। कोर्ट ने सैनिकों की मौत की सजा को कारावास में बदल दिया है। बता दें कि पिछले साल इन नेवी ऑफिसर को कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।

कौन हैं 8 भारतीय नौसेनिक ?

कतर में जिन 8 पूर्व नौसेना के अफसरों को गिरफ्तार किया गया था उनके नाम- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश हैं।

प्राइवेट कंपनी में काम करते थे सभी पूर्व ऑफिसर

ये सभी पूर्व ऑफिसर कतर की एक निजी कंपनी में काम कर रहे थे। यह कंपनी कतरी अमीरी नौसेना को ट्रेनिंग और अन्य सेवाएं प्रदान करती है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, इस कंपनी का नाम ‘दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एवं कंसल्टेंसीज सर्विसेज’ है। इस कंपनी के CEO रॉयल ओमान वायु सेना रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खामिस अल अजमी हैं।

2022 में किया था गिरफ्तार

कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को जासूसी के आरोप में 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया था। हालांकि, भारतीय दूतावास को सितंबर के मध्य में पहली बार उनकी गिरफ्तारी के बारे में बताया गया था। 30 सितंबर को इन भारतीयों को अपने परिवार के सदस्यों से थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की अनुमति दी गई थी।

विदेश मंत्री ने की थी परिजनों से मुलाकात

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नेवी अफसरों के परिवार के लोगों से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार उनकी लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं। इससे पहले कतर की अदालत द्वारा जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की जा चुकी थी। भारत सरकार ने कतर की अदालत के फैसले पर हैरानी जाहिर करते हुए कहा था कि उन्हें छुड़ाने के लिए कानूनी रास्ते खोजे जा रहे हैं।

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