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बिलकिस बाने की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज, गैंगरेप के दोषियों की रिहाई को दी थी चुनौती

नई दिल्ली। गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार बिलकिस बानो के दोषियों की सजा माफी को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। बिलकिस बानो ने मामले के 11 दोषियों की रिहाई वाले गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में याचिका लगाई थी।

इससे पहले 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने इस याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। मंगलवार को जैसे ही जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने इस मामले की सुनवाई शुरू की, जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि उनकी साथी जस्टिस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहेंगी।

दो जजों की बेंच ने लिया था खारिज करने का फैसला

जस्टिस रस्तोगी की अगुवाई वाली पीठ ने आदेश दिया-  यह मामला एक ऐसी पीठ के समक्ष पेश किया जाए, जिसमें हममे से एक न्यायाधीश शामिल नहीं हों। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका पर फैसला संबंधित फैसला सुनाने वाले जस्टिस अपने कक्ष में करते हैं। बिलकिस बानो की यह याचिका 13 दिसंबर को जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच में आई थी। शीर्ष अदालत के असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने बानो की वकील शोभा गुप्ता को भेजे गए संदेश में लिखा है- मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर पुनरीक्षण याचिका 13 दिसंबर 2022 को खारिज कर दी गई।

वकील बोलीं- फैसला देखकर उठाएंगे अगला कदम

बिलकिस की वकील शोभा गुप्ता ने बताया- पुनरीक्षण याचिका संबंधी आदेश को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अभी अपलोड नहीं किया गया है। उन्होंने कहा- आदेश पढ़ने के बाद हम फैसला करेंगे कि आगे क्या करना है।

स्वाती मालीवाल बोलीं- SC से भी न्याय नहीं तो कहां जाएं

बिलकिस बानो की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने इस पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा- 21 की उम्र में बिलकिस बानो का गैंगरेप किया गया। उनके तीन साल के बेटे समेत अन्य परिवारीजनों का कत्ल कर दिया गया। लेकिन गुजरात सरकार ने सभी रेपिस्ट आजाद कर दिए। उन्होंने लिखा- अगर सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय नहीं मिलेगा तो कहां जाएंगे?

गुजरात दंगों के दौरान हुई थी हैवानियत

गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप की शिकार हुई थीं। इसी दौरान भीड़ ने उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी थी। मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोग 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा हुए थे। गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत इन दोषियों को रिहा करने की अनुमति दी थी।

मई में गुजरात सरकार ने दिया था आदेश

मई 2022 में जस्टिस अजय रस्तोगी ने एक दोषी की याचिका पर आदेश दिया था कि गुजरात सरकार 1992 की रिहाई की नीति के तहत बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई पर विचार कर सकती है। लेकिन बिलकिस ने अपनी याचिका में कहा है कि इस मामले का पूरा ट्रायल महाराष्ट्र में चला है और वहां की रिहाई नीति के तहत ऐसे अपराधों में 28 साल से पहले रिहाई नहीं हो सकती है। मंगलवार को कोर्ट में इस पर सुनवाई होनी थी कि बिलकिस की याचिका सही है या नहीं। लेकिन इससे पहले ही सुनवाई से जस्टिस बेला त्रिवेदी ने खुद को अलग कर लिया।

इस नीति के तहत रिहाई

इस मामले के दोषियों में से एक ने 9 जुलाई, 1992 की नीति के तहत समय से पहले रिहाई के लिए उसके आवेदन पर विचार करने के लिए गुजरात राज्य को निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इस मामले के दोषियों को जब सजा हुई थी, तब यह कानून मौजूद था।

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