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30 प्रतिशत ग्रामीण- बुजुर्ग मतदाता ईवीएम में नहीं ढूंढ पाते चिन्ह

राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक ने तीन माह तक सात गांवों में किया ईवीएम साक्षरता सर्वे

भोपाल। चुनावी प्रक्रिया में ईवीएम, वीवीपेट का विवाद बीते कई सालों से चर्चा का विषय रहा है इसी को लेकर राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक राजेश पाराशर ने तीन माह तक 7 गांवों में 300 ग्रामीणों को लेकर ईवीएम साक्षरता सर्वे किया तो सामने आया कि 30 प्रतिशत ग्रामीण ईवीएम में चिन्ह नहीं ढूंढ पाए।

यहां पर सर्वे: नर्मदापुरम के जालीखेड़ा, चाटुआ, अमझिरा, मरियारपुरा और बैतूल जिले के डाबरी, फोफल्या रैयत , चिखली रैयत में 15 जनवरी से 14 अप्रैल 2024 तक सर्वे किया गया।

तीन दशक से पाराशर कर रहे काम: पाराशर तीन दशक से मध्यप्रदेश और देश के कोने कोने में वैज्ञानिक जागरूकता के लिए स्वैच्छिक कार्य कर रहे हैं।

ऐसे किया गया सर्वे

सर्वे में पाराशर और उनकी टीम ने नर्मदापुरम एवं बैतूल जिले के कुछ ग्रामों में बीते तीन महीनों में 60 साल से अधिक के पुरुष एवं 50 साल से अधिक की महिलाओं को सर्वे में शामिल किया। उन्हें पुराने चिन्हों से हटकर नए चिन्ह बताकर ईवीएम की फोटो पर स्याही लगाकर वोट देने के लिए कहा । ग्रामीण चिह्न ठीक से ढूंढ ही नहीं पाए। 30 प्रतिशत से अधिक मत किसी अन्य बटन पर दिए गए।

साक्षरता में कमी प्रमुख कारण

इसका कारण उनकी साक्षरता में कमी , बुजुर्ग होना एवं नेत्रदृष्टि कमजोर होना संभावित पाया गया । कुछ ने अंतिम मतदाता अर्थात नोटा तो कुछ ने सबसे ऊपर के प्रत्याशी को चुना । दो जिलों के 9 गांव में स्वयं के व्यय पर किए गए इस सर्वेक्षण में अभी सीमित सैंपल को लिया गया है । सर्वे में एमएस नरवरिया एवं हरीश चौधरी ने सर्वेक्षण मतदान प्रक्रिया में सहयोग किया।

सर्वे के बाद सुझाव

मतदाताओं को चुनाव चिन्ह बूथ में ठीक से दिखाई दे इसके लिए मशीन की डिजाइन में परिवर्तन करके उसके अंदर एलईडी जलाकर नामों एवं चिन्हों को प्रकाशित किया जा सकता है । सर्दियों में शाम 6 बजे तक रोशनी नहीं रहती जिससे कक्ष का प्रकाश पर्याप्त नहीं रहता है। अब इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट को राजेश पाराशर जल्दी ही मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पास पहुंचाएंगे।

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