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1990 के बाद बच्चों-किशोरों में मोटापे की दर चार गुना, महिलाओं में दोगुना से अधिक बढ़ी

द लांसेट का सर्वे : 190 देशों में की गई स्टडी

नई दिल्ली। दुनिया भर में मोटापे से ग्रस्त बच्चों, किशोरों और वयस्कों की कुल संख्या एक अरब से अधिक हो गई है। द लांसेट में प्रकाशित एक वैश्विक विश्लेषण में यह जानकारी दी गई। शोधकर्ताओं ने बताया कहा कि 1990 के बाद से सामान्य से कम वजन वाले लोगों की संख्या कम हो रही है और मोटापा अधिकतर देशों में कुपोषण का सबसे आम रूप बन गया है। मोटापा और कम वजन दोनों ही कुपोषण के रूप हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। 190 देशों में हुए अध्ययन में 1,500 से अधिक शोधकर्ताओं ने योगदान दिया। अध्ययन में देखा गया कि 1990 से 2022 तक लोगों के बीएमआई में बदलाव आया है।

करीब 16 करोड़ बच्चे मोटे

डब्ल्यूएचओ के वैश्विक डेटा के विश्लेषण के अनुसार, दुनियाभर के बच्चों और किशोरों में 2022 में मोटापे की दर 1990 की दर से चौगुनी रही। अध्ययन में कहा गया है कि वयस्कों में, मोटापे की दर महिलाओं में दोगुनी से अधिक और पुरुषों में लगभग तिगुनी हो गई। अध्ययन के अनुसार, 2022 में 15 करोड़ 90 लाख बच्चे एवं किशोर और 87 करोड़ 90 लाख वयस्क मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं।

बढ़ जाते हैं कई रोग

कुछ सालों में बच्चों और 40 वर्ष तक की महिलाओं में मोटापे की समस्या बढ़ी है। कोरोना के दौरान यह समस्या और बढ़ी थी। दरअसल शारीरिक श्रम न करना, जंकफूड और अनियमित जीवनशैली इसका महत्वपूर्ण कारण है। मोटापे से ग्रसित करीब 30% लोग हाइपो थायराइड से पीड़ित होते हैं। इसके साथ ही मोटापे से हार्ट अटैक की आशंका भी बढ़ जाती है। – डॉ. मनुज शर्मा, एंडोक्राइनोलाजिस्ट, भोपाल

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