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Year Ender 2021 : नंदकुमार सिंह चौहान से लेकर सुब्रत मुखर्जी तक कई राज्यों के इन दिग्गज नेताओं ने दुनिया को कहा अलविदा

साल 2021 खत्म होने ही जा रहा है। इस साल भारतीय राजनीति के कई राज्यों के दिग्गज नेताओं ने दुनिया को अलविदा कह दिया। ऐसे नेता जो राज्य ही नहीं पूरे देश में अपनी विशेष पहचान रखते थे और अहम पदों पर अपनी जिम्मेदारियां निभाईं। आइए जानते हैं उन नेताओं के बारे में जिन्होंने इस साल दुनिया को अलविदा कह दिया…

मध्यप्रदेश

खंडवा-बुरहानपुर से 5 बार भाजपा से सांसद रहे नंदकुमार सिंह चौहान का 2 मार्च को निधन हो गया था। 11 जनवरी को कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उन्हें भोपाल के अस्पताल में शिफ्ट कराया गया। जहां उन्होंने 68 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। नंदकुमार सिंह चौहान का राजनीतिक सफर साल 1978 में शाहपुर नगर परिषद से शुरू हुआ था। वे 1985 से 1996 तक विधायक रहे और साल 1998, 1999, 2004, 2014, 2019 में खंडवा से सांसद चुने गए।

अलीराजपुर जिले की जोबट विधानसभा सीट से विधायक और कांग्रेस नेत्री कलावती भूरिया 24 अप्रैल को कोरोना से जंग हार गईं। कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया 2018 में पहली बार विधानसभा सदस्य बनीं थीं। इसके साथ ही वे झाबुआ और आलीराजपुर जिले के विभिन्न सामाजिक, स्वास्थ्य और अन्य समितियों में सदस्य रहीं।

कांग्रेस के कद्दावर नेता और कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे बृजेंद्र सिंह राठौर का 2 मई को कोरोना से निधन हो गया। उनका का जन्म 1 जनवरी 1957 को टीकमगढ़ जिले के पृथ्वीपुर में हुआ था। 1982 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और 1998 में पहली बार निवाड़ी विधानसभा से निर्दलयी प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर विधायक बने थे।

मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता रहे लक्ष्मीकांत शर्मा का 31 मई को कोरोना से निधन हो गया था। वो 11 मई को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें भोपाल के अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। लेकिन 31 मई को कोरोना से जंग हार गए। 60 वर्षीय शर्मा 1993 में पहली बार विधायक चुने गए थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पहले कार्यकाल में लक्ष्मीकांत शर्मा खनिज मंत्री थे।

छत्तीसगढ़

राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ विधानसभा सीट से विधायक और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के नेता देवव्रत सिंह का दिल का दौरा पड़ने से 4 नवंबर को निधन हो गया था। वे 52 साल के थे। खैरागढ़ राजपरिवार के सदस्य देवव्रत सिंह पहली बार वर्ष 1995 में अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक रमेश वर्ल्यानी का 19 दिसंबर को निधन हो गया था। उन्होंने हरियाणा के गुरुग्राम में एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था। 15 नवंबर 1947 को जन्मे रमेश वर्ल्यानी समाजवादी धड़े के नेता थे। दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा के करीबियों में शामिल वर्ल्यानी प्रदेश कांग्रेस में प्रवक्ता थे।

उत्तर प्रदेश

राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह ने 21 अगस्त को लंबी बीमारी से संघर्ष के बाद 89 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहने के दौरान कल्याण सिंह ज्यादा सुर्खियों में रहे थे। कल्याण सिंह ने 30 साल की उम्र में 1962 में राजनीति में कदम रखा था। 2014 में कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल बनाए गए थे।

राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह का 6 मई को निधन हो गया था। 86 साल की उम्र में 22 अप्रैल को कोरोना संक्रमण के कारण चौधरी अजीत सिंह की तबीयत बिगड़ी और अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजीत सिंह उत्तर प्रदेश की बागपत लोकसभा सीट से 7 बार सांसद चुने गए थे।

मुजफ्फरनगर के चरथावल विधानसभा क्षेत्र से विधायक विजय कश्यप का 18 मई को कोरोना से निधन हो गया था। उन्हें संघ का करीबी माना जाता था। अगस्त 2019 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी कैबिनेट का विस्तार किया था, उसमें विजय कश्यप को भी शामिल किया था। विजय कश्यप मुख्यमंत्री कार्यालय से संबद्ध राज्यमंत्री थे।

औरैया जिले के सदर से भाजपा विधायक रमेश दिवाकर का 23 अप्रैल को कोरोना से निधन हो गया था। भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में रमेश दिवाकर को औरैया सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया था। बीजेपी के जिला अध्यक्ष रहे रमेश दिवाकर ने 2009 और 2014 में इटावा सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी से टिकट की मांग की थी।

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के नवाबगंज विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक केसर सिंह गंगवार का 28 अप्रैल को कोरोना वायरस संक्रमण से निधन हो गया था। वे 64 साल के थे। साल 2009 में गंगवार ने बसपा से विधान परिषद के लिए चुने गए थे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी में शामिल हो गए थे।

रायबरेली के डीह ब्लॉक के पदनमपुर बिजौली गांव के निवासी दल बहादुर कोरी का 7 मई को कोरोना से निधन हो गया था। दल बहादुर कोरी साल 1993 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 1996 में दूसरी बार जीत हासिल करके वे राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री काल में राज्य मंत्री बने।

उत्तराखंड

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता एवं उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का 13 जून को नई दिल्ली में निधन हो गया था। वे 80 साल की थीं। वे 1974 में 33 साल की उम्र में पहली बार यूपी विधान परिषद की सदस्य बनीं। हलद्वानी सीट से इंदिरा पहली बार विधायक बनीं। एनडी तिवारी की सरकार में इंदिरा हृदयेश PWD, फाइनेंस, संसदीय कार्य जैसे अहम विभागों की मंत्री बनाई गईं।

देहरादून के कैंट क्षेत्र से भाजपा विधायक हरबंस कपूर का 13 दिसंबर को निधन हो गया था। वो 75 साल के थे। हरबंस कपूर लगातार 8 बार विधायक चुने गए थे। 7 जनवरी 1946 को जन्मे हरबंस कपूर एक कुशल राजनीतिज्ञ रहे हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और कैंट विधानसभा सीट से विधायक थे। वे 2007 से 2012 तक उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

बिहार

पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का भी निधन साल 2021 शुरू होने से पहले 2020 के अंतिम दिनों में हो गया। वे RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी थे। निधन से पहले उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया था। RJD का प्रमुख चैहरा रहे रघुवंश प्रसाद को पोस्ट कोविड केयर के लिए दिल्ली एम्स लाया गया था। हालत खराब होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था जिसके बाद उनका निधन हो गया।

8 सितंबर को बिहार कांग्रेस के सबसे बड़े नेता का निधन हो गया था। 76 साल के सदानंद सिंह बिहार कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता थे। पिछले कुछ सालों में बिहार कांग्रेस ने बुरा से बुरा वक्त देखा, लेकिन सदानंद सिंह हमेशा हर सियासी तूफान के आगे डटे रहे। सदानंद सिंह पहली बार 1969 में विधायक बने थे।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री खालिद रशीद सबा का 27 सितंबर को निधन हो गया था। खालिद रशीद डॉ. जगन्नाथ मिश्रा, बिन्देश्वरी दूबे और सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के मुख्यमंत्रि काल में 3 बार मंत्री रहे। इसके साथ ही विधान परिषद सदस्य के रूप में दो बार चुने गए और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे थे।

झारखंड

झारखंड के सिंहभूम के पूर्व सांसद व झारखंड भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा का 29 अप्रैल को कोरोना से निधन हो गया था। 20 दिसंबर 1964 में जन्मे गिलुवा ने रांची विश्विवद्यालय से बीकॉम तक पढ़ाई की थी। गिलुवा ने राजनीति में सक्रिय रहते हुए लंबा सफर तय किया। वे 13वीं लोकसभा सदस्य थे। लक्ष्मण सिंह रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे।

झारखंड के लोहरदगा विधानसभा के पूर्व विधायक और आजसू नेता कमल किशोर भगत की 17 दिसंबर को संदेहास्पद स्थिति में मौत हो गई। कमल किशोर अपने घर में ही मृत पाए गए। जबकि उनकी पत्नी नीरू शांति भगत बेहोशी की हालत में मिलीं। कमल किशोर भगत लोहरदगा विधानसभा से वर्ष 2009 में विधायक बने थे। उसके बाद वर्ष 2014 में फिर लोहरदगा विधानसभा से विजयी हुए थे।

पंजाब

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और अमृतसर से छह बार सांसद रहे रघुनंदन लाल भाटिया का 15 मई को निधन हो गया था। वे 100 साल के थे। रघुनंदन अमृतसर संसदीय सीट से सबसे पहले 1972 में लोकसभा सांसद बने थे और इसके बाद इसी सीट से 1980, 1985, 1992, 1996 और 1999 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। रघुनंदन भाटिया 2004 से 2008 तक केरल के राज्यपाल रहे। वहीं 2008 से 2009 तक बिहार के राज्यपाल भी रहे। उन्होंने 1992 में विदेश राज्यमंत्री के तौर पर भी काम किया।

पंजाब की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले और अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सदस्य सेवा सिंह सेखवां का 6 अक्टूबर को निधन हो गया। उन्होंने 1997 को पहली बार अकाली दल ने चुनाव लड़कर विधायक बनवाया था।

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह लंबी बीमारी के बाद 8 जुलाई को निधन हो गया। वे 87 साल के थे। वीरभद्र सिंह के बिना हिमाचल की राजनीति की चर्चा पूरी नहीं हो सकती। प्रदेश में विकास का ढांचा खड़ा करने का श्रेय उन्हीं को जाता है। 6 बार सीएम पद ग्रहण करने वाले वीरभद्र सिंह 9 बार विधायक और 5 बार सांसद भी रहे।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीएस बाली का लंबी बीमारी के बाद 67 साल की उम्र में 30 अक्टूबर को निधन हो गया। 27 जुलाई 1954 को जन्मे जीएस बाली नगरोटा बगवां से 4 बार विधायक और 2 बार मंत्री रहे। हिमाचल सरकार में महत्वपूर्ण विभागों में 2 बार मंत्री रहे। साल 2003 और 2012 में कांग्रेस सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे।

राजस्थान

2 जनवरी को भारत के पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह ने 86 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान बूटा सिंह गृह मंत्री रहे थे। बूटा सिंह बिहार के राज्यपाल भी रहे थे। बूटा सिंह कांग्रेस के ऐसे नेता रहे, जिन्होंने देश के चार प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया। बूटा सिंह राजस्थान की जालोर सीट से 8 बार सांसद रहे थे।

राजस्थान के पहले दलित मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया का 19 मई को कोरोना से निधन हो गया। वे 93 साल के थे। 15 जनवरी 1932 को जन्मे पहाड़िया 6 जून 1980 से जुलाई 1981 तक 11 महीने राजस्थान के सीएम रहे थे। पहाड़िया को 1957 में सबसे कम उम्र में सांसद बनने का अवसर मिला था। जब वे सांसद चुने गए तब उनकी उम्र 25 साल थी।

दिल्ली

शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता एके वालिया का 22 अप्रैल को निधन हो गया था। एके वालिया कोरोना से संक्रमित थे। डॉ. अशोक कुमार वालिया (Ashok Kumar Walia) का जन्म दिल्ली में 8 दिसंबर 1948 को हुआ था। उन्होंने 1972 में इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से MBBS की डिग्री हासिल की और पेशे से फिजिशियन थे। वह दिल्ली की पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी विधानसभा के सदस्य रहे। वह अपने चौथे कार्यकाल में लक्ष्मी नगर से विधायक रहे। वहीं पहले से लेकर तीसरे कार्यकाल तक वह गीता कॉलोनी से विधायक रहे।

महाराष्ट्र

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव सातव का 16 मई को कोरोना से निधन हो गया था। उनकी उम्र 46 साल थी। राजीव सातव की गिनती कांग्रेस के बड़े नेताओं में होती थी। उन्हें राहुल गांधी का करीबी भी माना जाता था। वे विधायक से लेकर लोकसभा और राज्यसभा के सांसद तक रह चुके थे। उनका जन्म 21 सितंबर 1974 को पुणे में हुआ था।

बंगाल

तृणमूल कांग्रेस (TMC) के वरिष्ठ नेता सुब्रत मुखर्जी का 5 नवंबर को निधन हो गया। सुब्रत मुखर्जी को राज्य के इतिहास में एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर याद रखा जाएगा, जिन्होंने बंगाल की राजनीति में एक कुशल राजनीतिज्ञ के अलावा एक सक्षम प्रशासक के रूप में 50 से भी अधिक वर्षों तक काम किया और अपनी एक विशेष पहचान बनाई। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत 1960 के दशक में एक छात्र नेता के रूप में की थी।

गुजरात

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी का 9 जनवरी को निधन हो गया था। माधव सिंह सोलंकी कांग्रेस के बड़े नेता थे और वे 4 बार गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके थे। वे भारत के विदेश मंत्री भी रह चुके थे। गुजरात की राजनीति और जातिगत समीकरणों के साथ प्रयोग कर सत्ता में आने वाले माधव सिंह सोलंकी KHAM थ्योरी के जनक माने जाते हैं। KHAM यानी कि क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम।

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