
भोपाल। प्रदेश में इस साल 4872 एचआईवी पॉजिटिव मरीज मिले हैं। मप्र में एड्स कंट्रोल सोसायटी के पास करीब 75 हजार मरीज रजिस्टर्ड हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि इनमें से सिर्फ 39700 मरीजों की जानकारी है। यह मरीज नियमित रूप से एआरटी सेंटरों से दवाएं ले रहे हैं। बाकी 25 हजार से ज्यादा मरीज गायब हैं।
इन तमाम बातों के बावजूद राहत की बात यह है कि मप्र इस मामले में बेहतर स्थिति में है। मप्र में एडल्ट एचआईवी प्रिवलेंस रेट 0.09 है, जबकि भारत का 0.22 है। राष्ट्रीय प्रिवलेंस रेट की तुलना में मप्र बेहतर स्थिति में है। एचआईवी एस्टीमेशन 2017 टेक्निकल रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में हर साल 2300 नए मरीज मिलना चाहिए लेकिन वास्तविक मरीजों की संख्या इससे कहीं अधिक है।
78 नए सेंटर्स होंगे शुरू
प्रदेश में एचआईची मरीजों के लिए 6 नए एआरटी सेंटर शुरू किए जाएंगे, इसके साथ एआरटी सेंटर की संख्या बढ़कर 24 हो जाएगी। वहीं 78 नए जांच केन्द्र शुरू किए जाएंगे। अब प्रदेश में इनकी संख्या बढ़कर 246 हो जाएगी।
30 से 40% मरीज सरकारी रिकॉर्ड पर नहीं आ पाते
मप्र एड्स कंट्रोल सोसायटी के रिकॉर्ड अनुसार मप्र में कुल एचआईवी संक्रमित मरीजों में 39 फीसदी महिलाएं और 69 फीसदी पुरुष है। सबसे ज्यादा मामले मालवा-निमाड़ क्षेत्र से हैं। वहीं प्रदेश के अन्य जिलों से भी मरीज इलाज के लिए इंदौर पहुंचते हैं। इसलिए यहां संक्रमण का पंजीयन अधिक है।
सुइयों से संक्रमण में देश में छठवां स्थान
देश में संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल के कारण एड्स की चपेट में आने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश छठे नंबर पर है। बीते 10 सालों में संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल से 1,768 लोगों को एड्स हुआ है। भोपाल एआरटी सेंटर के नोडल ऑफिसर डॉ. हेमंत वर्मा बताते हैं कि भोपाल जिला प्रदेश में दूसरे नंबर पर है। वहीं सबसे ज्यादा मामले मालवा क्षेत्र से आते हैं। मालूम हो कि राज्य में हर साल करीब 4,000 एचआईवी संक्रमण का पता चलता है।
ये हैं एड्स के लक्षण
- हफ्तों तक लगातार खासी और बुखार रहना।
- अकारण वजन का घटना।
- मुंह में घाव होना।
- भूख खत्म हो जाना, बार-बार
- दस्त लगना
- गले या बगल में सूजन भरी गिल्टियां होना।
- दर्द व खुजली वाले ददोरे या चकत्ते हो जाना।
- सोते समय पसीना आना।