Diwali 2024 : दीपावली का त्योहार विशेष रूप से धन, समृद्धि और सौभाग्य का पर्व माना जाता है। इसे दीपोत्सव और रोशनी का पर्व भी कहा जाता है। देश में हर त्योहार को लेकर लोगों की अलग-अलग मान्यताएं और परंपराएं हैं। वहीं दिवाली की रात दीपक से बने काजल को लगाने की परंपरा का विशेष और सांस्कृतिक महत्व है। इसे लगाने के पीछे कुछ खास धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं हैं, जो कई पीढ़ियों से चली आ रही हैं। आइए जानते हैं कि इसका क्या महत्व है और काजल कैसे बनाते हैं…
बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से बचाव
हिंदू धर्म में इसे न केवल शुभ माना जाता है, बल्कि इसके पीछे विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं भी जुड़ी हैं। दीपक से बने काजल को लगाने का एक मुख्य कारण है बुरी नजर से बचना। यह मान्यता है कि दिवाली की रात लक्ष्मी माता घर-घर में प्रवेश करती हैं और यह समय सकारात्मक ऊर्जा का होता है। दीपक से बने काजल को बुरी नजर या नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए लगाया जाता है, ताकि घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। दीपक की पवित्र लौ से बने इस काजल को दिवाली की रात घर के बच्चों और बुजुर्ग की आंखों व माथे पर लगाया जाता है।
काजल लगाने का वैज्ञानिक कारण
काजल लगाने के वैज्ञानिक कारण की बात करें, तो माना जाता है कि मिट्टी के दीपक से बना काजल शुद्ध होता है और आंखों के लिए फायदेमंद भी होता है। वहीं दिवाली के दिन पटाखों के कारण अधिक प्रदूषण हो जाता है। जिससे सबसे ज्यादा असर आंखों पर पड़ता है। कुछ लोगों की आंखें लाल हो जाती हैं और जलन होती है। यह आंखों को ठंडक देने के साथ-साथ धूल और अन्य प्रदूषकों से भी बचाता है।
सौंदर्य का प्रतीक
दिवाली का पर्व सजने-संवरने का अवसर होता है। इस दिन महिलाएं और बच्चे काजल लगाकर सज-धज कर माता लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। इसे सुंदरता और आकर्षण बढ़ाने का प्रतीक भी माना जाता है। दीपक का काजल एक तरह का रक्षा कवच माना जाता है।
पूजा के बाद रात में बनाते हैं काजल
दिवाली की रात लक्ष्मी-गणेश पूजन करने के बाद दीपक से काजल बनाया जाता है। इस काजल को घर के सभी सदस्यों को लगाया जाता है। इसके अलावा इस काजल को घर की महत्वपूर्ण स्थानों जैसे कि अलमारी, तिजोरी, खाना बनाने के चूल्हे पर भी लगाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से सभी तरह की बुरी बाधाएं दूर होती हैं।
परंपरा और आस्था का प्रतीक
दीपक से बना काजल लगाने की परंपरा सदियों पुरानी है, जो हमारे पूर्वजों से चली आ रही है। लोग इसे धार्मिक विश्वास और सांस्कृतिक परंपरा के रूप में निभाते हैं। इसे शुभ और रक्षात्मक मानते हुए लोग इसे अपनी आस्था और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं, जो दीपों के इस पर्व को और भी विशेष बनाता है।
ऐसे बनाएं दीपक से काजल
दीपावली की रात घर पर काजल बनाने के लिए पहले एक दीपक में बाती और तेल डालकर जला दें। इसके ऊपर किसी छोटी प्लेट को सावधानी के साथ रख दें। ध्यान रखें कि प्लेट से दीपक की लौ छू रही हो। आधा से एक घंटे बाद ऊपर वाली प्लेट को सावधानी से उठा लें। अब प्लेट में आपको कालिख नजर आएगी। जिसे आप किसी डिब्बी में रुई या कपड़े की मदद से निकाल लें। इसके साथ ही इसमें थोड़ा सा शुद्ध घी डाल दें। अब आपका काजल तैयार है। आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)