भोपाल

नृत्य और अभिनय के जरिए सुनाई गंगा के स्वर्ग से धरती पर उतर आने की कथा

रंगश्री लिटिल बैले ट्रूप में धरोहर-14 का आगाज

कीर्ति बैले एंड परफॉर्मिंग आर्ट द्वारा स्व. प्रभात गांगुली राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव का आगाज सोमवार को हुआ। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम धरोहर 14 की शुरुआत लिटिल बैले ट्रूप में हुई। पहले दिन यहां नृत्य नाटिका गंगावतरण की प्रस्तुति हुई। इसे राघवन वारियर ने कोरियोग्राफ किया। इसी कड़ी में मंगलवार को बैले नाट्य क्षिप्रा का मंचन होगा। इसे वैशाली गुप्ता ने कोरियोग्राफ किया है। नृत्य नाटिका अनहद (ओंकार) का मंचन बुधवार को होगा। इसे चंद्र माधव बारिक ने कोरियोग्राफ किया है।

तपस्या के बाद गंगा का हुआ अवतरण

नृत्य नाटिका में गंगा के धरती पर आने की कहानी को नृत्य और अभिनय के जरिए बयां किया गया। अयोध्या के राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। अपने पौत्र अंशुमान के नेतृत्व में दिग्विजय के लिए अश्व छोड़ा गया। ईर्ष्या से वशीभूत इंद्र ने अश्व का अपहरण कर लिया। अश्व की खोज शुरू हुई और सगर पुत्र अश्व की खोज करते हुए कपिलमुनि के आश्रम पहुंचे। मुनि पर अश्व को चुराने और छिपाने का आरोप लगा। झूठे आरोप की प्रतिक्रिया में ऋषि ने अपनी क्रोधाग्नि में सगर पुत्रों को भस्म कर दिया। ऋषि की क्रोधाग्नि शांत होने पर उन्होंने बताया कि गंगा को धरती पर लाकर ही सगर पुत्रों का उद्धार हो सकता है। इस तरह लंबी तपस्या के बाद गंगा धरती पर अवतरित हुई। मंच पर पद्मा सोनकर, दीप्ति मोहता, मोनिका पाण्डे बोहरे, किरण मारण, सपना यादव, मधुस्मिता, प्रतिभा मंजरी, प्रताप मोहता, लक्ष्मण सामंत, सौलत यार, दयानिधि मोहता, उपेन्द्र मोहंता, अपूर्व दत्त मिश्रा, संजय इंगले ने अपने अभिनय से इसे जीवंत कर दिया।

अशोक बुलानी हुए सम्मानित

कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक बुलानी को उनकी सतत नाट्य रंग यात्रा के लिए रामप्रकाश त्रिपाठी के हाथों स्व. प्रभात गांगुली रंग – रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अशोक बुलानी सिंधी साहित्य अकादमी के निदेशक है और 100 से अधिक नाटकों में अभिनय एवं निर्देशन कर चुके हैं।

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