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सियासत के सूरमा : दूसरे राज्यों में भी फहराई चुनावी विजय पताका

अटलजी, शरद यादव, अर्जुन सिंह और उमा भारती ने बनाया कीर्तिमान

राजीव सोनी-भोपाल। राजनेताओं के सामने कई बार अपने गृह नगर की सीट बचाना लोहे के चने चबाने जैसी हो जाती है। लेकिन मप्र के कुछ सियासी सूरमा ऐसे भी हैं जिन्होंने दूसरे राज्यों में जाकर लोकसभा चुनाव लड़ने की चुनौती स्वीकार की और विजय पताका भी फहराई। ऐसे दिग्गजों में पूर्व पी एम स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे इकलौते नेता रहे जिन्होंने 4 राज्यों (उप्र, मप्र, नई दिल्ली, गुजरात) से चुनाव जीता।

समाजवादी नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. शरद यादव और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. सुषमा स्वराज ने भी 3 राज्यों से चुनाव जीते। सुषमा ने एक बार बेल्लारी (कर्नाटक) से भी चुनाव लड़ा। मप्र के पूर्व सीएम स्व. अर्जुन सिंह ने दिल्ली और पूर्व सीएम उमा भारती ने उप्र से चुनाव लड़े और जीते।

अटल बिहारी वाजपेयी (पूर्व पीएम)

वाजपेयी देश के ऐसे इकलौते नेता थे जो 4 राज्यों की लखनऊ, बलरामपुर, मथुरा, गांधीनगर, ग्वालियर, विदिशा और नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। संसद में 6 सीटों की नुमाइंदगी भी कर चुके। पहला चुनाव उन्होंने 1952  में लखनऊ से लड़ा था।

शरद यादव (पूर्व केंद्रीय मंत्री )

जनता दल(यूनाइटेड) के अध्यक्ष रहे जुझारू नेता यादव ने जबलपुर से दो बार और 4 बार मधेपुरा बिहार व एक बार यूपी की बदायूं सीट से लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया। राजनीतिक गठजोड़ और गठबंधन की राजनीति में उन्हें महारत हासिल थी। जेपी आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे।

अर्जुन सिंह (पूर्व सीएम )

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अर्जुनसिंह ने प्रदेश में होशंगाबाद और सतना से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन दोनों जगह उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पंजाब के राज्यपाल भी रहे, वह दिल्ली से चुनाव लड़कर संसद में पहुंचे और केंद्र में मंत्री भी रहे।

उमा भारती (पूर्व सीएम )

मप्र की पूर्व सीएम उमा ने खजुराहो संसदीय सीट से 4 मर्तबा नुमाइंदगी कर चुकी हैं। इसके बाद उन्होंने भोपाल सीट से भी लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया। उमा भारती पार्टी के निर्देश पर पड़ोसी राज्य उप्र की झांसी सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर सांसद भी बनीं।

सुषमा स्वराज (पूर्व सीएम )

दिल्ली की सीएम और केंद्र में मंत्री रहीं स्व. स्वराज को अपने होम स्टेट हरियाणा की करनाल सहित 4 राज्यों से लोकसभा चुनाव लड़ने का श्रेय है। दिल्ली और मप्र की विदिशा से भी वह सांसद रहीं। कर्नाटक की बेल्लारी सीट पर वह सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने गई थीं।

कीर्तिमान के अलावा यह भी एक वजह रही…

दूसरे राज्यों से चुनाव जीतना कीर्तिमान तो है ही। लेकिन पहले सभी दल यह भी चाहते थे कि उनके अच्छे पार्लियामेंटेरियन किसी भी तरह संसद में जीत कर पहुंचें ताकि पार्टी का अच्छा परफार्मेंस बना रहे। इस वजह से उन्हें अनुकूल सीटों से मैदान में उतारा जाता था। अटलजी तो एक बार 3 सीटों से चुनाव लड़े थे। – गिरिजा शंकर , राजनीतिक विश्लेषक

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