
सिद्धार्थ तिवारी जबलपुर। ऐसे कई मामले हुए जिसमें तत्काल मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की गई, जिससे साप्रदायिक हिंसा को होने से बचा लिया गया। यदि कार्रवाई में देरी होती, तो बड़ी घटनाएं हो सकती थीं। कार्यकाल में जो भी उनके अधीनस्थ काम करने वाले पुलिस अधिकारी, कर्मचारी मिले उन सभी को यही निर्देश दिए कि यदि कोई घटना की सूचना मिलती है, तो तत्काल ही मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करें। इससे पुलिस की छवि पर भी बहुत असर पड़ता है। साथ ही जो विवाद होने वाला होता है, वह पुलिस की मौजूदगी से टल जाता है। हम बात कर रहे हैं एएसपी शहर संजय अग्रवाल की, जिन्होंने चर्चा के दौरान अपने अनुभव को साझा किया। एएसपी संजय अग्रवाल सन् 1997 में डीएसपी के पद पर पदस्थ हुए और 2011 में एएसपी के पद पर पदोन्नत हुए। साथ ही सन् 2021 से वह जबलपुर शहर में एएसपी रहते हुए विभिन्न दायित्वों का निर्वाहन कर चुके हैं। बात करें उनकी कार्रवाई की, तो उन्होंने अपने कार्य से वरिष्ठ अधिकारियों के मन में खासी जगह बना रखी है।
एएसपी शहर संजय अग्रवाल ने पीपुल्स समाचार से बातचीत में बताया कि पुलिस के सामने रोज ही नई घटनाएं आती हैं, जिसे जितनी जल्द सुलझा लिया जाए वह प्राथमिकता होती है। सन् 2002 में वह एसडीओपी नीमच थे। एक दिन सुबह लगभग साढ़े 9 बजे सूचना मिली कि दो गुटों के बीच विवाद हुआ और उसमें एक गुट ने दूसरे गुट के एक सदस्य को गर्म कढ़ाई में डाल दिया था, जिससे सांप्रदायिक हिंसा भड़कने की आशंका थी। सुबह थाने में सूचना आई वह थाने में ही थे और तत्काल टीम के साथ मौके पर पहुंचे और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही दूसरे पक्ष के लोगों को समझाइश दी। ऐसे ही सागर सीएसपी के पद पर रहते हुए एक मामला सामने आया था, जिसमें राजनीतिक पार्टी के चीफ पर चाकू से हमला कर दिया गया था। इसमें भी सांप्रदायिक हिंसा भड़कने की आशंका थी। सूचना पर टीम बनाकर आरोपी की तलाश की और उसे गिरμतार कर लिया गया, जिसके कारण बड़ा विवाद टल गया।