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उत्तराखंड में नकल विरोधी कानून लागू, पकड़े जाने पर उम्र कैद और 10 करोड़ का जुर्माना

​​​​​​देहरादून। उत्तराखंड में पेपर लीक और नकल की बढ़ती घटनाओं के बीच प्रदेश में नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। राज्यपाल ने लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने शुक्रवार को उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा अध्यादेश, 2023 पर मुहर लगा दी। राजभवन ने 24 घंटे के भीतर यह कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।

पकड़े जाने पर 10 वर्ष जेल और 10 करोड़ का जुर्माना

उत्तराखंड सरकार के इस नकल विरोधी कानून में बहुत ही सख्त प्रावधान किए गए हैं। इस कानून के तहत अगर कोई प्रिटिंग प्रेस, कोचिंग इंस्टीट्यूट या मैनेजमेंट सिस्टम नकल कराने पर दोषी पाया जाता है, तो उसे उम्र कैद की सजा मिलेगी। इसके अलावा 10 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी भरना पड़ेगा। इस गैर जमानती अपराध में दोषियों की संपत्ति कुर्क करने का भी प्रावधान है।

नकल करते पकड़े जाने पर मिलेगी सख्त सजा

अगर कोई अभ्यर्थी भर्ती परीक्षा में नकल करते या नकल कराते हुए पकड़ा जाता है तो ऐसे मामलों में तीन साल की सजा और न्यूनतम पांच लाख जुर्माने का प्रविधान किया गया है। दूसरी बार भी यदि वही अभ्यर्थी अन्य प्रतियोगी परीक्षा में फिर दोषी पाया जाता है, तो उसे न्यूनतम 10 साल की सजा और 10 लाख रुपए का जुर्माना देना पड़ेगा।

देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून: सीएम धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को कहा था कि, युवाओं से किए गए वादे के मुताबिक हमारी सरकार ने देश का सबसे सख्त “नकल विरोधी कानून” लाने का फैसला किया है। इससे संबंधित अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेज दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, हम नकल माफिया को प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करने देंगे।

बता दें कि, उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में कथित घोटाले के खिलाफ प्रदेश के युवा बेरोजगार संघ के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे हैं।

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