
भोपाल। जहांगीराबाद थानाक्षेत्र के बरखेड़ी निवासी महेंद्र कुमार जोगी 14 नवंबर 2022 को अपनी कार नंबर एमपी 04 ईबी 9743 से भोपाल से विदिशा जा रहे थे। दोपहर तकरीकन 3 बजे सूखी सेवनिया बायपास चौराहे से थोड़ा आगे विदिशा रोड पर चार युवकों ने उनकी कार जबरदस्ती रुकवा ली। गाड़ी रुकवाने वाले युवकों ने खुद को साई सिक्योरिटी कंपनी का रिकवरी एजेंट बताया और महेंद्र की गाड़ी छीनने की कोशिश की। हालांकि, महेंद्र ने विरोध किया और बताया कि उनकी गाड़ी इस कंपनी से फायनेंस ही नहीं है, तो युवक धमकी देते हुए उल्टे पांव भाग गए। महेंद्र ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई है।
पहले भी हुईं ऐसी घटनाएं
राजधानी में रिकवरी एजेंट बताकर इस तरह से लोगों की गाड़ियां छीनने का यह कोई पहला मामला नहीं है। पहले भी ऐसे तमाम मामले सामने चुके हैं। कुछ मामलों में पुलिस ने कार्रवाई भी की, लेकिन उसके बाद भी फर्जी रिकवरी एजेंट्स ऐसे अपराध कर रहे हैं।
सवाल पूछा तो धमकाया
महेंद्र भोपाल में स्पाइस मनी नामक कंपनी में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। उनके मुताबिक 14 नवंबर को जब यह वारदात हुई तक वे विदिशा जा रहे थे। जिन युवकों ने कार रुकवाई, नाम पूछने पर उन्होंने खुद को अनिल साहू, सार्थक तिवारी, राहुल दांगी और कृष्णा ठाकुर बताया। चारों युवकों ने उनकी गाड़ी की चाबी निकाल ली थी और सीज करने की बात कर रहे थे। जब महेंद्र ने युवकों ने सवाल पूछा कि मेरी गाड़ी किस कंपनी से फायनेंस है। इस पर वे जवाब नहीं दे सके। कार सीज करने का विरोध करने पर चारों ने उन्हें गालियां दीं और जान से मारने की धमकी देकर चले गए। महेंद्र का कहना है कि यह घटना आसपास के दुकानदारों ने भी देखी। इसके बाद वे स्थानीय थाने में आवेदन देने भी गए, लेकिन तब एफआईआर नहीं दर्ज हुई। 7 दिसंबर को महेंद्र ने थाने में इस संबंध में सूखी सेवनिया थाने में एफआईआर दर्ज कराई।
कार की एक भी किस्त बाउंस नहीं
महेंद्र का दावा है कि उनकी कार की एक भी किस्त बाउंस नहीं हुई हैं। यही नहीं, ये युवक खुद को जिस कंपनी का एजेंट बता रहे थे, उस कंपनी से उनकी कार फाइनेंस भी नहीं है। उन्होंने आशंका जताई है कि इस तरह के युवक सड़कों पर जानबूझकर लोगों को रोकते हैं और यदि किसी की गाड़ी की किस्तें बाउंस हुई हैं तो गाड़ी छीन लेते हैं।
क्या है रिकवरी का नियम
आरबीआई की गाइडलाइन के मुताबिक किस्त बाउंस होने के बाद यदि ग्राहक 90 दिनों के अंदर पैसे जमा नहीं करता है तो उसे बैंक नोटिस जारी करता है। इसके बाद फिर 60 दिन का वक्त मिलता है। इस अवधि में पैसे जमा नहीं करने पर बैंक मकान या वाहन पर कब्जा कर उसे बेचने के अधिकारी हो जाते हैं। लेकिन, रिकवरी एजेंट किसी से इस तरह से गाड़ी नहीं छीन सकते हैं। यदि रिकवरी करनी है तो संबंधित थाने में जानकारी देने के बाद वे गाड़ी सीज कर सकते हैं। लेकिन इस दौरान वह बदसलूकी या लूटपाट जैसी घटना नहीं कर सकते।
वाहन सीज करना अपराध नहीं
2020 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि किस्तें नहीं भरने पर गाड़ी पर फाइनेंसर का मालिकाना हक होगा। वह यदि गाड़ी सीज करता है तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।