
राजगढ़ जिले के ब्यावरा में शासकीय कन्या विद्यालय की छात्राओं को बिना प्रशासनिक अनुमति के पुराने एनएच कार्यालय में शिफ्ट कर दिया गया। इसके विरोध में शनिवार को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने छात्र-छात्राओं एवं परिजनों के साथ प्रदर्शन किया। विद्यालय के सामने लगातार 2 घंटे तक चक्काजाम कर प्रदर्शन किया गया। इसके चलते स्कूल प्रबंधन को अपना निर्णय बदलना पड़ा।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) October 15, 2022
परिजनों ने पहले किया था विरोध
जानकारी के मुताबिक, प्राथमिक कक्षा की छात्राओं को बिना किसी प्रशासनिक लिखित अनुमति के एक ऐसे खंडहर भवन में स्थानांतरित कर दिया गया था। जहां ना तो उनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था थी और ना ही पढ़ाई की व्यवस्था। ऐसे में परिजनों द्वारा विद्यालय की मनमानी के विरोध में 2 दिन पहले चौराहे पर चक्काजाम करके प्रदर्शन भी किया गया, लेकिन विद्यालय के प्राचार्य और शिक्षकों ने वहां से भगा दिया।
स्कूल प्रबंधन ने बदला अपना फैसला
शनिवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की टीम उस विद्यालय के निरीक्षण के लिए पहुंचे तो देखा कि विद्यालय में चारों तरफ से गंदगी फैली हुई है। ऐसा वातावरण छात्राओं के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने छात्र-छात्राओं और परिजनों के साथ विद्यालय के सामने लगातार 2 घंटे तक चक्काजाम कर प्रदर्शन किया। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं की मांगे मान ली।
जिला शिक्षा अधिकारी बीएस बिसारिया, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी राजेंद्र यादव, नायब तहसीलदार अनागरिका कनौजिया की मौजूदगी में बालिकाओं को पुनः कन्या शाला में शिफ्ट किया गया।
आक्रोशित हुए अभाविप के कार्यकर्ता
इधर, आक्रोशित छात्र-छात्राओं ने प्राचार्य के खिलाफ भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक सांठगांठ को लेकर नारेबाजी की। ऐसे में आंदोलन कर रहे एबीवीपी के कार्यकर्ताओं एवं छात्रों पर दबाव बनाया गया कि वह रास्ते से हट जाए। वहीं 2 घंटे प्रदर्शन चलने के बावजूद प्राचार्य धूप में बैठी छात्राओं एवं उनके परिजनों से बात करने नहीं आए।
प्रदर्शन के बीच एबीवीपी राजगढ़ की विभाग छात्रा प्रमुख मुस्कान सेन ने कहा कि किस प्रकार से बहुत लंबे समय से कन्या शाला के प्राचार्य एवं प्रबंधन अपनी मनमानी छात्राओं पर थोपते आ रहे हैं। आवाज उठाने वाली छात्राओं को डरा धमकाकर चुप करा दिया जाता है। एबीवीपी राजगढ़ के जिला संयोजक अमन व्यास ने बताया कि किस प्रकार बिना लिखित अनुमति के छात्राओं को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का फैसला लेने के बाद किसी ने उनकी सुध नहीं ली।
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