
भोपाल। मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व महापौर विभा पटेल ने मुख्यमंत्री की लाड़ली बहना योजना को छलावा बताया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव (MP Elections 2023) को ध्यान में रखते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh chouhan) ने ‘लाड़ली बहना’ योजना की घोषणा की है। यह महिलाओं के साथ एक और छलावा और भ्रम है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पहले भी कई ऐसी योजनाओं की घोषणा कर चुके हैं, जबकि इनका फायदा बेटियों को नहीं मिला।
ध्यान भटकाने के लिए घोषणा
विभा ने कहा कि यह घोषणा आम जनता का ध्यान भटकाने के उद्देश्य से की गई है। उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान से सवाल पूछा कि लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिए कुल 37 लाख 63 हजार 735 कन्याओं ने आवेदन किया गया, लेकिन वर्ष 2020-21 में 2, 28, 283 बेटियों के रजिस्ट्रेशन ही स्वीकार किए गए। जिनके रजिस्ट्रेशन रिजेक्ट हुए, वह सभी वंचित, कमजोर और निम्न वर्ग की थीं। उन्होंने कहा कि खुद को संवेदनशील कहने और लाड़लियों का मामा बताने वाले मुख्यमंत्री चौहान के कार्यकाल में 35 लाख से अधिक बच्चियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया गया। ये सरकार की खोट पूर्ण नीयत और राजनीतिक झांसे को दिखाता है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मुद्दा उठाया
विभा पटेल ने कहा कि घोषणावीर मुख्यमंत्री अब जन भावनाओं से राजनीतिक खेल खेल रहे हैं। ये खेल उन्हें और उनकी पार्टी को महंगा पड़ेगा। विभा ने मध्यप्रदेश की आंगनवाड़ी सहायिका और कार्यकर्ताओं की स्थिति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि न तो शिवराज सरकार ने इन्हें नियमित नहीं किया और न ही आशा कार्यकर्ताओं को, जबकि दोनों के कर्तव्य, दायित्व महत्वपूर्ण हैं। विभा ने सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारी घोषित करने के साथ ही इन्हें शासकीय सुविधाएं दिए जाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि जब तक ये नियमित नहीं हो जातीं, तब तक इन्हें 18 से 19 हजार रुपए प्रतिमाह भुगतान किया जाए। इन्हें स्वास्थ्य बीमा और आयुष्मान योजना का लाभ भी दिया जाए।
आशा, ऊषा कार्यकर्ताओं को 2 हजार वेतन क्यों
पटेल ने कहा कि आशा और ऊषा कार्यकर्ताओं के प्रति भी राज्य सरकार का रवैया ठीक नहीं है। इनकी नियुक्ति साल 2006 में हुई थी। लेकिन तब से आज तक इन्हें मात्र 2,000 रुपए ही मानदेय दिया जा रहा है। क्या यह बढ़ती महंगाई के दौर में जीवन-यापन के लिए सही है?