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Diwali 2022 : दिवाली पूजा के लिए यह है शुभ मुहूर्त, जानें लक्ष्मी पूजन का महत्व और पूजा विधि

हिंदू धर्म में दिवाली सबसे बड़ा त्योहार होता जिसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हर वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि पर दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या तिथि पर ही देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुईं थीं और दिवाली की रात को पृथ्वी भ्रमण पर निकली थीं। दिवाली की शाम को प्रदोष काल के समय लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि दिवाली की शाम को जिन घरों में विशेष साफ-सफाई और पूजा-पाठ होती है, वहां पर मां लक्ष्मी सदैव के लिए अपना निवास बना लेती हैं। आइए जानते हैं दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

अमावस्या तिथि आरंभ

24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 25 अक्टूबर शाम 4 बजकर 18 मिनट तक।

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, दिवाली का पर्व 24 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। क्योंकि 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। पंचांग भेद से 25 अक्टूबर को भी अमावस्या रहेगी। दिवाली के दिन रात के समय लक्ष्मी पूजन करने का विधान है। इसलिए 24 अक्टूबर को ही महालक्ष्मी की पूजा की जाएगी।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व

दिवाली की रात को ही माता लक्ष्मी सभी पर सबसे ज्यादा अपनी कृपा बरसाती हैं। शास्त्रों में कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी स्वर्ग से सीधे धरती पर आती हैं और हर घर में जाती हैं। जिन घरों में साफ-सफाई, प्रकाश और विधि-विधान से देवी-देवताओं की पूजा-आराधना व मंत्रों पाठ होता है, मां लक्ष्मी वहीं पर निवास करती हैं। जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव और धन की कभी भी कमी नहीं होती है।

लक्ष्मी पूजन के लिए क्यों सर्वश्रेष्ठ है प्रदोष काल

कार्तिक अमावस्या तिथि पर महालक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर लक्ष्मी पूजन का विधान होता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को कहा जाता है। ये समय लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम और श्रेष्ठ माना गया है। इसके अलावा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है।

गणेश-लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त

  • प्रदोष व्रत पूजा – 24 अक्टूबर शाम 5 बजकर 50 मिनट से रात 8 बजकर 22 मिनट तक
  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 24 अक्टूबर शाम 6 बजकर 53 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक
  • अभिजीत मुहूर्त – 24 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 19 मिनट से दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक
  • अमृत काल मुहूर्त – 24 अक्टूबर को सुबह 8 बजकर 40 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त – 24 अक्टूबर दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से 2 बजकर 21 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त – 24 अक्टूबर शाम 5 बजकर 12 मिनट से 5 बजकर 36 मिनट तक

मां लक्ष्मी पूजा विधि

  • वैसे तो दिवाली पर माता लक्ष्मी के स्वागत और पूजा-आराधना के लिए तैयारी बहुत पहले से ही कर ली जाती है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन पर घर में रिद्धि-सिद्धि के साथ सुख, संपन्नता और धन दौलत का प्रवेश होता है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के साथ भगवान गणेश, देवी सरस्वती, कुबेर और हनुमान जी की भी विशेष पूजा की जाती है। आइए जानते हैं दिवाली पर कैसे करें लक्ष्मी-गणेश की पूजा।
  • दिवाली के दिन सबसे पहले सुबह उठकर एक बार फिर से घर के हर कोनों की साफ-सफाई करें।
  • स्नान करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
  • घर को अच्छे तरीके से सजाएं और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं।
  • घर के मुख्य दरवाजे पर तोरण द्वार से सजाएं और दरवाजे के दोनों तरफ शुभ-लाभ और स्वास्तिक का निशान बना दें।
  • शाम होते ही पूजा की तैयारी में लग जाएं। पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर गंगाजल का छिड़काव करते हुए देवी लक्ष्मी,भगवान गणेश की प्रतिमा के साथ मां सरस्वती और कुबेर देवता की प्रतिमा स्थापित करें।
  • सभी तरह के पूजन सामग्री को एकत्रित कर चौकी के पास जल से भर कलश रख दें।
  • शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए पूजा आरंभ कर दें। विधि-विधान और परंपरा के अनुसार लक्ष्मी पूजन करें।
  • महालक्ष्मी की पूजन के बाद तिजोरी, बहीखाते और पुस्तकों की पूजा करें।
  • अंत में माता लक्ष्मी की आरती करके घर के सभी हिस्सों में घी और तेल दिए जलाएं।

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