
राजीव सोनी, भोपाल। महाकाल के करोड़ों भक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी है। महाकाल मंदिर में भक्तों को मिलने वाला लड्डू प्रसाद गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरा है। प्रसाद की शुद्धता और हाईजिन रेटिंग सभी मानकों पर खरी पाई गई।
फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रदेश की अत्याधुनिक लैब में हुई प्रसाद के केमिकल एनालिसिस में घी व अन्य सामग्री में मिलावट नहीं पाई। महाकाल मंदिर प्रबंधन द्वारा श्रद्धालुओं को दिए जा रहे आरती भोग लड्डू प्रसाद के निर्माण में सबसे प्रमुख पदार्थ घी है। इसमें मिलावट की आशंका रहती है जो कि जांच में निर्मूल साबित हुई। घी में वनस्पति तेल नहीं मिला है।
FSSAI के मानकों पर केमिकल एनालिसिस
देश में तिरूपति मंदिर के लड्डू प्रसादम में चर्बी विवाद सामने आने के बाद ‘पीपुल्स समाचार’ ने करोड़ों हिंदुओं की आस्था और सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रख कर यह पहल की है। अत्याधुनिक लैब में प्रदेश के सीनियर फूड एनालिस्ट्स की टीम से इस केमिकल एनालिसिस (फूड) के लिए सेवाएं ली गईं थीं। लड्डू प्रसाद को एक सप्ताह तक 13 तरह के टेस्ट की बारीक जांच प्रक्रिया से गुजारा गया, जो कि सभी मानकों पर खरा उतरा।
ये परीक्षण हुए
- बीआर वैल्यू
- शुगर
- आरएम वैल्यू
- टेवरा
- एफएफए
- फार्मलीन टेस्ट
- बाऊडिन टेस्ट
- बीआर वैल्यू
- पोलेंस्क वैल्यू
- स्पोनिफिकेशन वैल्यू
- आयोडिन वैल्यू
- बेंगाल ग्राम
- स्टार्च सिंथेटिक फूड कलर
इन चीजों से मिलकर बनता है लड्डू
- शुद्ध घी
- बेसन
- रवा
- काजू
- शक्कर
- किशमिश
- इलायची
किसने क्या कहा
प्रसाद की टेस्ट रिपोर्ट सभी मानकों पर अप टू द मार्क है। केमिकल एनालिसिस के बाद घी में मिलावट नहीं पाई गई।
– प्रदीप तिवारी, फूड एनालिस्ट, नीलम उपाध्याय, टेक्निकल मैनेजर सीईएस एनालिटिकल रिसर्च सर्विस्
श्री महाकाल मंदिर के प्रसाद में प्रयुक्त घी की केमिकल रिपोर्ट देखने के बाद यह स्पष्ट है कि उसमें किसी तरह का अखाद्य पदार्थ अथवा मिलावट नहीं है।
– डॉ. एआर निकम, रिटायर्ड पब्लिक एनालिस्ट
लड्डू प्रसाद में घी मुख्य पदार्थ है, जो कि उज्जैन दुग्ध संघ द्वारा (सांची) सप्लाई होता है। हमारा मुख्य फोकस और प्राथमिकता प्रसाद की शुद्धता-गुणवत्ता पर है। यह एफएसएसएआई द्वारा प्रमाणित भी है।
– संजय गुप्ता, संभागायुक्त एवं प्रशासक उज्जैन दुग्ध संघ, उज्जैन
तिरुपति विवाद : SC ने स्वतंत्र एसआईटी बनाने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति लड्डू बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए पांच सदस्यीय स्वतंत्र स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन करने के निर्देश दिए हैं। शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह कोर्ट का ‘राजनीतिक युद्ध के मैदान’ के रूप में इस्तेमाल किए जाने की अनुमति नहीं देगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त टीम उस एसआईटी का स्थान लेगी, जिसका गठन आंध्र प्रदेश सरकार ने तिरुपति लड्डुओं को बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए 26 सितंबर को किया था। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि एसआईटी में सीबीआई और आंध्र प्रदेश पुलिस के दो-दो अधिकारियों के अलावा एफएसएसएआई का एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होगा। बेंच ने निर्देश दिया कि यह उचित होगा कि जांच सीबीआई के निदेशक की निगरानी में की जाए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि एसआईटी द्वारा जांच की निगरानी केंद्र सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जा सकती है।
यह है मामला : आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने इस महीने की शुरूआत में आरोप लगाया था कि राज्य में वाई एस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के दौरान तिरुपति मंदिर के लड्डू तैयार करने में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। इससे बड़े पैमाने पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया।