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जन औषधि दिवस : 2014  में देशभर में थे मात्र 40 जन औषधि केंद्र, 8 साल में 9 हजार के ऊपर पहुंची इनकी संख्या

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री जन औषधि दिवस (6 मार्च) के मौके पर मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मौके पर दिल्ली में जन औषधि केंद्र चलाने वालों को राज्य स्तरीय पुस्कार से सम्मानित किया।

संगीता को मिला सर्वाधिक बिक्री का अवॉर्ड

पूर्वी दिल्ली के पटपडगंज गांव में जन औषधि केंद्र का संचालन करने वाली डायटिशिन संगीता राज को सर्वाधिक बिक्री करने वाली केंद्र संचालिका के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। समारोह में केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा- वर्ष 2014 से देश में जनऔषधि की मात्र 80 दुकानें थीं, लेकिन पिछले साढे 8 वर्षों में इसकी संख्या बढ़कर 9,200 के करीब पहुंच गई है। जल्द ही इनकी संख्या 10 हजार के पार होगी।

घुटना प्रत्यारोपण भी सस्ता हुआ

गोयल ने कहा कि मोदी सरकार आम जन को लाभ पहुंचाने वाली परियोजनायें चला रही है, जिससे न सिर्फ गरीब और मध्यम वर्ग को लाभ हो रहा है बल्कि उन्हें पैसों की भी बचत हो रही है। आयुष्मान भारत और जनऔषधि परियोजना से आम लोगों को बड़ी राहत पहुंची है। सरकार ने आवश्यक चिकित्सकीय उपरकणों की कीमतें भी काफी सस्ती की हैं। इससे नी रिप्लेसमेंट (घुटना प्रत्यारोपण) की लागत काफी कम हो गई है।

हवा-पानी के साथ दवा भी अति महत्वपूर्ण

केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि हवा पानी के बाद अब दवा भी अति महत्वपूर्ण हो गया है। गरीब आदमी बीमार होता है तो उसके पास पैसे नहीं होते। लेकिन, जनऔषधि परियोजना ऐसे लोगों के लिए वरदान बन गई है। 2014 के बाद देश की परिस्थितियां बदली है और आज लोगों को जनऔषधि जैसी परियोजनाओं से लाभ हो रहा है। इसके साथ इस परियोजना के तहत 35 करोड़ से अधिक सैनिटपरी नैपकिन लोगों को उपलब्ध कराया गया है। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

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