जबलपुरमध्य प्रदेश

बेवजह जनहित याचिका लगाने पर कोर्ट ने लगाया याचिकाकर्ता पर 5 हजार का जुर्माना

निराकरण के बावजूद जबलपुर में एम्स हॉस्पिटल स्थापित करने पुन: दायर की थी याचिका

जबलपुर. भारतीय अनयुर्विज्ञान संस्थान एम्स की स्थापना जबलपुर में किए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ व जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता ने इसी मुद्दे पर पूर्व में जनहित याचिका दायर की थी। न्यायालय द्वारा याचिका का निराकरण किए जाने के बावजूद पुन: उसी मुद्दे पर जनहित याचिका दायर की गई है। जिसे गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने 5 हजार की कॉस्ट लागते हुए याचिका खारिज कर दी।

क्या था याचिका में?

याचिकाकर्ता चेरीताल निवासी दीप गुप्ता की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र के 3 जिले नक्सल प्रभावित हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में आदिवासी आबादी भी इस इलाके में रहती है। क्षेत्रफल व जनसंख्या सहित नक्लस प्रभावित क्षेत्र होने के कारण जबलपुर में एम्स हॉस्टिपल स्थापित किया जाना चाहिए। जिससे लोगों को त्वरित व उचित इलाज मिल सके।

पूर्व में न्यायालय ने दिया था ये आदेश

याचिका में यह भी कहा गया है कि जम्मू व कश्मीर सहित अन्य प्रदेश में दो एम्स हॉस्पिटल संचालित हो रहे हैं। याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि उक्त मुद्दे पर याचिकाकर्ता ने पूर्व में भी याचिका दायर की थी। जिसका निराकरण करते हुए न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि एम्स हॉस्पिटल स्थापित करने का विषय केन्द्र सरकार का है। न्यायालय ने इस संबंध में केन्द्रीय स्वास्थ एव परिवार कल्याण विभाग के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने के निर्देश याचिकाकर्ता को दिए थे। इसके बावजूद पुन: उसी मुददे पर याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दायर की है। युगलपीठ ने इसे जनहित याचिका का दुरुपयोग करार देते हुए 5 हजार की कॉस्ट के साथ याचिका को खारिज कर दी।

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अभद्रता करने पर वकील पर कार्रवाई

एक अन्य मामले में मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद की अनुशासन समिति ने इंदौर के अधिवक्ता राघवेंद्र सिंह बैस की सनद 6 माह के लिए सनद निलंबित करते हुए 25 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है। मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद के सचिव प्रशांत दुबे ने बताया कि इंदौर जिला अधिवक्ता संघ के चुनाव की प्रक्रिया के दौरान 19 मई 2017 को अधिवक्ता राघवेंद्र सिंह बैस ने संघ के तत्कालीन सचिव से अभद्र व्यवहार किया था। जिसकी शिकायत तत्कालीन सचिव ने मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद में की थी। प्रकरण की सुनवाई करते हुए मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद की जबलपुर अनुशासन समिति के अध्यक्ष अखंड प्रताप सिंह, सदस्य अहादुल्ला उसमानी तथा पदेन सदस्य नरेंद्र कुमार जैन ने प्रकरण को गंभीर मानते हुए अधिवक्ता राघवेंद्र सिंह बैस इंदौर को धारा 35 अधिवक्ता अधिनियम 1961 के अंतर्गत व्यवसायिक कदाचरण का दोषी पाते पाते हुए 6 माह के लिए सनद निलंबित कर दी है।

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