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National Law Day: 26 नवंबर को क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय कानून दिवस? जानिए इस दिन के बारे में कुछ आवश्यक तथ्य

नई दिल्ली। भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत के संविधान को स्वीकार किया गया था। 26 जनवरी 1950 के दिन (Republic Day of India) भारत का संविधान लागू हुआ था, लेकिन उससे दो महीने पहले 26 नवंबर 1949 को संविधान बनाने वाली सभा (Constitution Assembly) ने कई चर्चाओं और संशोधनों के बाद आखिरकार संविधान को स्वीकार किया था।

क्यों मनाया जाता है संविधान दिवस?

देश के संविधान के बारे में नागरिकों के बीच जागरूकता फैलाने और संवैधानिक मूल्यों का प्रचार करने के लिए संविधान दिवस मनाने का फैसला किया गया था। इस दिन भारत ने अपने संविधान को स्वीकार किया था इसलिए सामाजिक न्याय मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को यह फैसला लिया था कि 26 नवंबर को भारत सरकार संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने की परंपरा शुरू करेगी। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा वर्ष 1979 में एक प्रस्ताव के बाद से इस दिन को ‘राष्ट्रीय कानून दिवस’ (National Law Day) के रूप में जाना जाने लगा था।

संविधान और उसका महत्व

संविधान दिवस का असल मकसद इसके निर्माताओं में शुमार और देश के पहले कानून मंत्री रहे डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि देना ही रहा। भारत का संविधान असल में उन सिद्धांतों और दृष्टांतों का लेखा जोखा है, जिनके आधार पर देश की सरकार और नागरिकों के लिए मौलिक राजनीतिक सिद्धांत, अधिकार, दिशा निर्देश, प्रक्रियाएं, प्रतिबंध और कर्तव्य आदि तय होते हैं।

दो महीनों का दिलचस्प किस्सा

26 नवंबर 1949 को संविधान अपनाया गया तो दो महीने बाद 26 जनवरी को लागू क्यों हुआ? इन दो महीनों का वक्त क्यों लिया गया? यह सवाल हर किसी के मन में आया होगा। बताया जाता है कि इन 2 महीनों के दौरान संविधान का पाठ किया गया और इसे अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद किया गया था। जब संविधान को पूरी तरह से अपनाया गया, उससे पहले संविधान सभा ने दो साल 11 महीने और 18 दिन के समय में 166 बार मुलाकात की थी।

भारतीय कानून से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • 9 दिसंबर 1946 : संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा ने पहली मुलाकात की थी।
  • भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
  • डॉ. बी आर अम्बेडकर को भारतीय संविधान के पिता के रूप में जाना जाता है।
  • भारतीय दंड संहिता 1860 में अंग्रेजों द्वारा निर्धारित किया गया था जोकि भारत में आपराधिक कानून का आधार है। 1973 में निर्धारित दंड प्रक्रिया संहिता, आपराधिक कानून के प्रत्येक पहलुओं को अपने तरीके से नियंत्रित करता है और दिशा-निर्देशित करता है।
  • 24 जनवरी 1950 : संविधान सभा ने हाथ से लिखी गई संविधान के दो कॉपियों पर संसद भवन के सेंट्रल हॉल में दस्तखत किए थे।
  • जनवरी 2019 तक भारत के संविधान में कुल 103 संशोधन किए गए जबकि संविधान लागू होने के पहले 62 वर्षों में सिर्फ 94 संशोधन हुए थे।

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