
वॉशिंगटन। अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में कहा कि ईवीएम को आसानी से हैक किया जा सकता है और इसके जरिए चुनाव परिणामों में हेरफेर संभव है। गबार्ड ने पूरे अमेरिका में पेपर बैलेट की वापसी की मांग की, ताकि मतदाता चुनाव प्रणाली पर भरोसा कर सकें।
गबार्ड का बयान सोशल मीडिया पर वायरल
गबार्ड का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और देखते ही देखते यह अमेरिका में चुनाव सुरक्षा को लेकर गर्म मुद्दा बन गया। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने गबार्ड का समर्थन करते हुए कहा कि पेपर बैलेट ही चुनावों की पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकते हैं। वहीं, कुछ लोगों ने इसे गबार्ड का राजनीतिक एजेंडा करार दिया।
इससे एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी कर न्याय विभाग को 2020 चुनाव के दौरान पूर्व साइबर सुरक्षा प्रमुख क्रिस क्रेब्स की भूमिका की जांच करने का निर्देश दिया था। ट्रंप लंबे समय से अमेरिकी चुनाव प्रणाली पर सवाल उठाते रहे हैं।
एलन मस्क भी उठा चुके हैं सवाल
टेस्ला और स्पेसएक्स के CEO एलन मस्क भी इससे पहले ईवीएम को लेकर शंका जता चुके हैं। उन्होंने साफ कहा था कि हमें ईवीएम को खत्म कर देना चाहिए। मस्क का यह बयान भी चुनावों में तकनीक के उपयोग को लेकर बहस का कारण बना था।
कांग्रेस ने साधा निशाना
गबार्ड के बयान के बाद भारत में कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भारतीय चुनाव आयोग और केंद्र की भाजपा सरकार पर सवालों की बौछार कर दी। उन्होंने X पर लिखा, “अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक गबार्ड ने सार्वजनिक रूप से ईवीएम हैकिंग का मुद्दा उठाया। भारत का चुनाव आयोग और मोदी सरकार इस पर चुप क्यों है?”
उन्होंने आगे लिखा कि यदि गबार्ड को भारत ने 17 मार्च को सम्मानित किया है, तो उनके बयान को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग को अमेरिकी सरकार और गबार्ड से संपर्क कर पूरी जानकारी लेनी चाहिए और भारत में उपयोग हो रही ईवीएम की भी स्वतंत्र जांच करानी चाहिए।
रणदीप सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह इस मुद्दे पर खुद ही संज्ञान ले और भारत में ईवीएम की विश्वसनीयता की दोबारा समीक्षा करे। उनका तर्क है कि यदि अमेरिका जैसी ताकतवर लोकतंत्र में इस पर सवाल उठ रहे हैं, तो भारत को भी सजग रहना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट भी ईवीएम को मान चुका है विश्वसनीय
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कई बार ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर अपने फैसलों में इसे सुरक्षित और पारदर्शी बताया है। 5 अप्रैल 2002 को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग के दावे को स्वीकार किया कि ईवीएम में गड़बड़ी या हेरफेर की कोई संभावना नहीं है। 8 अक्टूबर 2013 को कोर्ट ने आदेश दिया कि ईवीएम के साथ VVPAT मशीनों को अनिवार्य रूप से जोड़ा जाए, ताकि मतदाता यह देख सके कि उसका वोट सही उम्मीदवार को गया है या नहीं। 2023 में अब तक ईवीएम हैकिंग या गड़बड़ी का कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आया। वहीं 2025 में, 100% VVPAT पर्चियों की गिनती की मांग सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई थी।
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