सोमवती अमावस्या 31 जनवरी सोमवार को है। अमावस्या तिथि हर महीने में आती है, लेकिन इनमें कुछ अमावस्या तिथि का खास महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या होती है। मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या भी कहते हैं। जब यही अमावस्या सोमवार को पड़ती है तो इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है।
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मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है
सभी अमावस्याओं में मौनी अमावस्या का विशेष स्थान है। हिंदू धर्म में माघ मास को बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है। माघ के महीने में स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व बताया गया है। सोमवती अमावस्या के दिन विधि-विधान से भगवान का पूजन करते हैं। आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या की तिथि और मुहूर्त के बारे में…
सोमवती अमावस्या के तिथि और मुहूर्त
- सोमवती अमावस्या का आरंभ 31 जनवरी, सोमवार, रात्रि 02: 18 मिनट से है।
- सोमवती अमावस्या का समापन 01 फरवरी, मंगलवार प्रातः 11: 15 मिनट पर होगा।
- स्नान आदि सूर्योदय के समय से होता है, इसलिए मौनी अमावस्या का स्नान 01 फरवरी को है।
पुण्यदायक है सोमवती अमावस्या
31 जनवरी को अमावस्या साल 2022 की पहली सोमवती अमावस्या है। सोमवती अमावस्या काफी पुण्यदायी मानी जाती है। सोमवार के दिन अमावस्या का संयोग होने से सोमवती अमावस्या का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ गया है। हालांकि गंगा स्नान आदि सूर्योदय के समय होता है। इसलिए गंगा स्नान के लिए मंगलवार का दिन यानि 1 फरवरी को ज्यादा उत्तम रहेगा। लेकिन पितरों के लिए तर्पण आदि के कार्य सोमवार के दिन किए जा सकते हैं।
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अमावस्या के शुभ संयोग पर करें ये उपाय
- सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का एक पौधा लगाएं (यदि संभव हो तो)। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं।
- पीपल का पौधा जैसे जैसे बड़ा होगा, आपको पितरों से आशीर्वाद प्राप्त होगा और आपके घर के सारे संकट धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे।
- पीपल का पौधा किसी भी अमावस्या को लगाया जा सकता है, लेकिन सोमवती अमावस्या का संयोग आसानी से नहीं मिल पाता ऐसे में यह शुभ संयोग 31 जनवरी को मिल रहा है।
- अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है ऐसे में इस दिन पितरों के नाम तर्पण करने से उन्हें तृप्ति मिलती है और आशीर्वाद देते हैं।
- सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करें और पीले रंग के पवित्र धागे को 108 बार परिक्रमा करके बांधें।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें, पूजन से पहले खुद पर गंगाजल का छिड़काव करें।
- आप इस दिन पितरों के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करेंगे, तो इससे उनके कष्ट दूर होंगे और पितर प्रसन्न होंगे।
- सोमवती अमावस्या के दिन दान स्नान का विशेष महत्व है। ऐसे में पितरों को ध्यान में रखते हुए दान अवश्य करें। दान किसी जरूरतमंद को ही करें।
क्या है मौनी अमावस्या ?
शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर मौन धारण करके मुनियों के समान आचरण करते हुए स्नान करने के विशेष महत्व के कारण ही माघ मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि मौनी अमावस्या कहलाती है। माघ मास में गोचर करते हुए भुवन भास्कर भगवान सूर्य जब चंद्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते हैं तो ज्योतिष शास्त्र में उस काल को मौनी अमावस्या कहा जाता हैं।
शास्त्रों में मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन यहां देव और पितरों का संगम होता है। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि माघ के महीने में देवतागण प्रयागराज आकर अदृश्य रूप से संगम में स्नान करते हैं। वहीं मौनी अमावस्या के दिन पितृगण पितृलोक से संगम में स्नान करने आते हैं और इस तरह देवता और पितरों का इस दिन संगम होता है।
(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)