
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को भोपाल के विज्ञान भवन आयोजित ‘नदी महोत्सव’ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ओम प्रकाश सकलेचा एवं गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। सीएम ने कहा कि नर्मदा जी या अन्य मध्य प्रदेश की नदियां ग्लेशियर से नहीं निकली है। हमने सभी नदियों को बर्बाद करने का महापाप किया है।
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सीएम बोले- मैं हमेशा अपनी दो मां मानता हूं
सीएम शिवराज ने कहा कि मैं हमेशा अपनी दो मां मानता हूं, एक मां जिन्होंने मुझे जन्म दिया। दूसरी नर्मदा मैया जिनकी गोद में बचपन से खेला। हमारा सतपुड़ा, विंध्याचल ये दोनों नर्मदा जी के भाई हैं। इन पर बड़े-बड़े साल, सागौन, साज, घिरिया के पेड़ थे। नर्मदा जी के दोनों तटों पर खेत नहीं, जंगल थे। उन्होंने कहा कि पेड़ कभी किसान नहीं काटता था, लेकिन मैंने बचपन में देखा कि 1965 के आसपास जब मैकेनाइजेशन का जमाना आया। बड़े-बड़े चेन वाले ट्रैक्टरों ने परती जमीन तोड़कर पेड़ सहित उखाड़ देते थे। मैंने नर्मदा का विंध्वस अपनी आंखों से देखा। इसे किया किसने, हम सभी ने किया।

नर्मदा के तटों पर पेड़ समाप्त हो गए : सीएम
सीएम ने कहा कि खेती के लायक जमीन बनाते-बनाते नर्मदा जी के दोनों तटों के तरफ पेड़ लगभग-लगभग समाप्त हो गए। जब पेड़ नहीं रहेंगे, घास नहीं रहेंगे तो मिट्टी का कटाव होगा। अमरकंटक में भी नर्मदा मैया की धार सिकुड़ती जा रही है। हमने बाकी नदियों को भी बर्बाद करने का महापाप किया है। कई जगह हम जाते हैं तो लोग कहते हैं कि हैंडपंप में पानी नहीं है। पहले 30-40 फीट पर पानी निकल जाता था। अब हजार फीट पर भी पानी नहीं निकल रहा है। इसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। प्रकृति के साथ हमने विनाश की भी कहानी लिखी है।
मप्र की नदियां ग्लेशियर से नहीं निकली है : सीएम
सीएम ने कहा कि हमने कड़े फैसले किए हैं। अमरकंटक में किसी भी तरह के नए निर्माण कार्य नहीं होंगे। पुराने जितने भी निर्माण हैं, यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके सीवेज का पानी नर्मदा में नहीं मिलेगा। हम सीवेज प्लांट लगा भी रहे हैं। नर्मदा जी या अन्य मध्य प्रदेश की नदियां ग्लेशियर से नहीं निकली है। वर्षा जल को बड़े-बड़े पेड़ अवशोषित करके रख लेते हैं। बूंद-बूंद पानी जड़ के माध्यम से नदी में जाता है। हमें धार को बचाना है तो नदी के तटों पर पेड़ लगाना होगा। इसलिए मैं हर रोज पौधा लगाता हूं।
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किसानों से प्राकृतिक खेती शुरू करने की अपील
सीएम शिवराज ने कहा कि मैं सभी किसान भाई-बहनों से अपील करता हूं कि आप नर्मदा जी के तटों पर प्राकृतिक खेती शुरू करें। पूरी जमीन पर नहीं, कुछ हिस्से में प्राकृतिक खेती करें। मैं खुद पांच एकड़ में प्राकृतिक खेती शुरू कर रहा हूं। इसमें लागत कम, उत्पादन ज्यादा है। प्राकृतिक खेती को व्यापक रूप से हम प्रचारित कर रहे हैं। आज से 17 जिलों में ट्रेनर का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया है। हर ब्लॉक में 5 लोगों को ट्रेनिंग देंगे जो प्राकृतिक खेती के बारे में किसानों को बताएंगे। हमने यह भी तय किया है कि जो भी किसान प्राकृतिक खेती के लिए गाय खरीदेगा उसे 900 रुपए महीना गाय के आहार के लिए देंगे।
अपने लिए तो कीट-पतंगे भी जीते हैं : सीएम
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि अपने लिए तो सभी जीते हैं, कीट-पतंगे भी जीते हैं, पशु-पक्षी भी जीते हैं। अपने लिए जिए तो क्या जिए। जीता वास्तव में देश के लिए जीता है, समाज के लिए जीता है, किसी बड़े काम के लिए जीता है और ऐसा ही यशस्वी जीवन स्वर्गीय अनिल माधव दवे जी ने जिया मैं स्वर्गीय अनिल माधव दवे जी के चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं। वो व्यक्ति नहीं, संस्था थे। स्वर्गीय अनिल माधव दवे जी ने एक नहीं अनेकों कार्य किए। जिनमें से एक प्रमुख कार्य मां नर्मदा के प्रति उनका जो अनुराग था। लगातार उन्होंने परिक्रमा की।
जल और जीवन के बीच की खाई हमने बढ़ाई है : राज्यमंत्री पटेल
केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि जल और जीवन के बीच की जो खाई है, जितनी हमने बढ़ाई और जितनी वो बढ़ चुकी है उसको काबू में करना आसान हीं है। यदि हम आज भी अपने संकल्पों में प्रति दृढ़ हो जाएं तो जितना पानी हम उपयोग करते हैं उतना ही बचा लें, तब भी उससे काम नहीं चलेगा।
भारत ने सबसे ज्यादा भूमि जल का दोहन किया : राज्यमंत्री पटेल
केंद्रीय राज्यमंत्री पटेल ने कहा कि भारत रत्न स्वर्गीय श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 1990 में राज्यसभा में कहा था कि दुनिया में यदि तीसरा विश्व युद्ध होगा तो पीने के पानी के लिए होगा, लेकिन भारत रण भूमि नहीं बनेगा, क्योंकि भारत के पास दुनिया में सर्वाधिक जल की मात्रा है। उन्होंने कहा कि 2021 में रिपोर्ट आई जिसमें भारत ने दुनिया में सबसे ज्यादा भूमि जल का दोहन किया। भारत वो देश है जिसने नदियों को मां माना, जीवनदायिनी माना, लेकिन जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया।