
भोपाल। प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी कार्यालय यानि मंत्रालय कर्मचारी और अधिकारियों से आधा खाली हो गया है। यहां भृत्य से लेकर अपर सचिव तक करीब ढाई हजार पद हैं लेकिन इनमें डेढ़ हजार पद ही भरे हैं। आलम है कि यहां एक भी अतिरिक्त सचिव नहीं हैं। 14 में मात्र एक उप सचिव पदस्थ है। ऐसे में कर्मचारियों पर काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है। यहां तक आनंद और धर्मस्व जैसे विभाग के प्रमुख सचिव को सचिव और अपर सचिव के काम भी करने पड़ रहे हैं। सचिव को स्वयं नोटशीट लिखकर शाखा में भेजना पड़ रही है। कई सालों से भर्ती नहीं होने से कर्मचारी चिड़चिड़े होने लगे और कुछ ने तो वीआरएस भी ले लिया है।
ज्यादा काम के चलते VRS
जीएडी में पदस्थ रहे उप सचिव सीवी पड़वार ने वीआरएस ले लिया है। उनके पास जीएडी की कई शाखाओं का काम था। वे बताते हैं कि कई बार मंत्रालय में काम करते-करते रात हो जाती थी। उन्होंने कई बार वरिष्ठ अफसरों से काम के बढ़ते बोझ की जानकारी दी थी। काम के बोझ के कारण ही अवर सचिव श्यामा धुर्वे ने वीआरएस के लिए आवेदन दे दिया है। इसके पहले अनुभाग अधिकारी अशोक भारद्वाज और सहायक अनुभाग अधिकारी विनोद शुक्ला ने वीआरएस के लिए आवेदन दिया था। उद्योग विभाग की एक कर्मचारी ने काम के बोझ के चलते आत्महत्या कर ली। प्रदेश में पिछले सात साल से पदोन्नति नहीं हो रही है। इससे वरिष्ठ पदों पर जाने की इच्छा रखने वाले कर्मचारी और अधिकारी निराश हैं। जिन्हें अबतक उप सचिव बन जाना चाहिए था वे अवर सचिव बने हुए हैं। बताया जाता है कि निचले पदों पर भर्तियां र्हुइं लेकिन उच्च पद खाली होते जा रहे हैं। ऐसे में अनुभाग अधिकारी दो-दो अनुभाग देख रहे हैं।
अवर सचिव के पास इस तरह अतिरिक्त प्रभार
♦ सीमा डहेरिया: लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के साथ प्रवासी भारतीय विभाग तथा आंनद विभाग।
♦ बबीता वसुनिया: चिकित्सा शिक्षा तथा भोपाल गैस त्रासदी एवं पुनर्वास विभाग।
♦ श्याम बाई धुर्वे: सामान्य प्रशासन विभाग के साथ, सामान्य प्रशासन विभाग कक्ष 9 का प्रभार।
♦ शर्मिला ठाकुर: खनिज साधन के साथ नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग।
मंत्रालय कर्मचारी संघ ने दिए कई ज्ञापन
रिक्त पदों में भर्ती करने तथा पदोन्नति को लेकर मंत्रालयीन कर्मचारी संघ निरंतर ज्ञापन देते आया है। संघ ने सुझाव दिया था समयमान वेतनमान देने के साथ ही अगला पदनाम दे दिया जाए। कर्मचारी संघ के प्रयासों के चलते जीएडी ने परिपत्र भी जारी किया कि समयमान वेतनमान के साथ अगला पदनाम दिया जाएगा, लेकिन अबतक कोई पालन नहीं किया गया। -इंजी.सुधीर नायक, पूर्व अध्यक्ष मंत्रालयीन कर्मचारी संघ