अर्पण राऊत श्योपुर/ग्वालियर। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से आए चीतों के कदम टाइगर ने रोक दिए है। इलाके में टाइगर की आमद से चीतें बाडे में रहने को मजबूर है। टाइगर की तलाश के लिए फॉरेस्ट और चीता मित्रों की टीम जंगलों में दो दिन से खाक छानती फिर रही है। हालांकि, टाइगर की मौजूदगी को सटीक ट्रेस नहीं किया जा सका है। नामीबिया के बाद दक्षिण अफ्रीका से शनिवार को 12 और चीते कूनो अभयारण्य में लाए गए हैं। अब यहां कुल 20 चीते हो गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र यादव व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की मौजूदगी में चीतों को खुले में छोड़ने को लेकर बड़े स्तर पर बैठक भी हुई, जबकि अब कहानी में टाइगर की एंट्री से ट्विस्ट आ गया है। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका से चीते आने के ठीक एक दिन पहले फॉरेस्ट के आला अफसरों की गाड़ी के आगे टाइगर की चहलकदमी ने माथे पर बल ला दिए है। यह टाइगर कूनो के पास खजूरी और परौन वन चौकी के बीच दिखा था। दरअसल, पहली खेप में आए आठ चीतों को खुले जंगल में छोड़ना था, जबकि यहां अचानक टाइगर दिखना उनके लिए खतरा माना जा रहा है।
हम रविवार की सुबह 6 बजे सड़क मार्ग से शिवपुरी से श्योपुर लौट रहे थे। पोहरी के पास विशालकाय टाइगर ने हमारा रास्ता क्रॉस किया। मेरे साथ दो लोग और थे। हमने इसकी इत्तला भी स्थानीय प्रशासन को दी है। - अरविंद सिकरवार, चश्मदीद
कूनो नेशनल पार्क और आसपास टाइगर देखे जाने की हमारे पास प्रमाणिक सूचना नहीं है, लेकिन इस क्षेत्र में उसके होने या आने से अचरज नहीं होता, क्योंकि इस नेशनल पार्क के पास शिवपुरी है। वहां टाइगर की मौजूदगी से इंकार नहीं किया जा सकता। - उत्तम शर्मा, सीसीएफ शिवपुरी
पालपुर कूनो के जंगल में टाइगर घूमता रहता है। एक टाइगर हमारे मित्रों को दिखा है, वह जब भी कस्बे की ओर आता है तो वह भैंस, पड़ा, बकरी और बछड़ों को आहार बना लेता है। विजयपुर में पिछले दिनों एक भैंस को खाने की सूचना थी। - रमेश सिकरवार, चीता मित्र