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Corona के डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट का हुआ मेल, जानें कितना खतरनाक है इसका नया ‘स्ट्रेन’ Deltacron?

दुनियाभर में कहर बरपा रहे कोरोना वायरस के नए-नए रूप सामने आते जा रहे हैं। कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के खतरे के बीच साइप्रस के एक वैज्ञानिक ने कोरोना के नए स्ट्रेन का पता लगाया है। इसे ‘डेल्टाक्रॉन’ नाम दिया गया है।

डेल्टाक्रॉन नाम क्यों दिया गया?

यह वैरिएंट कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रॉन का मिक्स बताया जा रहा है। इसी लिए इसे डेल्टाक्रॉन नाम दिया गया है। इस नए वैरिएंट के मामले साइप्रस से सामने आए हैं। ओमिक्रॉन अब तक का सबसे तेजी से फैलने वाला कोरोना वैरिएंट बताया गया है, जबकि डेल्टा ने पिछले साल कई देशों में कहर बरपाया था।

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किसने खोजा डेल्टाक्रॉन?

साइप्रस यूनिवर्सिटी में जैव प्रौद्योगिकी और मॉलिक्यूलर वायरोलॉजी की प्रयोगशाला के प्रमुख डॉ. लियोन्डियोस कोस्ट्रिक्स ने डेल्टाक्रॉन को खोजा है। उनका कहना है कि यह बेहद संक्रामक ओमिक्रॉन का स्थान ले सकता है। वहीं वैज्ञानिक एरिक टोपोल का कहना है कि डेल्टाक्रॉन नामकरण अधिकृत रूप से नहीं किया गया है। यह नाम साइप्रस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने रखा है।

GISAID के पास भेजे गए सैम्पल

साइप्रस के शोधकर्ता ने इस सप्ताह अपने निष्कर्ष GISAID को भेजे हैं। GISAID एक अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस है, जो वायरस को ट्रैक करता है। इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डेल्टाक्रॉन के अब तक 25 मामले मिले हैं। हालांकि किसी भी देश ने अब तक इसकी पुष्टि नहीं की है।

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‘डेल्टाक्रॉन’ नहीं है वैरिएंट!

वायरोलॉजिस्ट टॉम पीकॉक का कहना है कि डेल्टाक्रॉन, वैरिएंट न होकर वास्तविक वैरिएंट का दूषित रूप हो सकता है। जब नए वैरिएंट की जीनोम सीक्वेंसिंग की जाती है तो इस तरह के कंटेनिमेटेड वर्जन पैदा हो सकते हैं। इन्हें आमतौर पर वैरिएंट नहीं माना जाता है। इनकी सॉर्स कोव-2 वायरस की तरह आनुवांशिक कड़ी नहीं जुड़ती है।

रूप बदलते रहते हैं सॉर्स-कोव-2

वॉयरोलॉजिस्ट व बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के मेडिकल साइंस विभाग के प्रोफेसर के मुताबिक आरएनए वायरस जैसे कि सॉर्स-कोव-2 का यह स्वभाव होता है कि वह रूप बदलते (म्यूटेट) रहते हैं। इसके नए मिश्रित रूप का अभी अध्ययन होना है। यह जरूरी नहीं है कि कोरोना वायरस का हर रूप खतरनाक हो।

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