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बीना में पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को वाटर कैनन से खदेड़ा, विधायक के घर झंडा लगाने जा रहे थे

बीना (सागर)। बीना विधायक निर्मला सप्रे के इस्तीफे की मांग को लेकर राजनीति तेज हो गई है। गुरुवार को विधायक निर्मला सप्रे के घर कांग्रेस का झंडा लगाने जा रहे कांग्रेसियों को पुलिस ने आंबेडकर तिराहे पर रोक लिया। कुछ कांग्रेसी नेताओं ने पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़कर आगे निकलने का प्रयास किया। उन पर पुलिस ने वाटर कैनन से पानी की बौछार कर उन्हें तितर-बितर कर दिया। इस दौरान पुलिस से झूमाझटकी भी हुई। बाद में कुछ कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार कर पुलिस गाड़ी में बिठाकर थाने ले गई।

इस्तीफे को लेकर असमंजस

दरअसल, कांग्रेस का कहना है कि वो सीएम डॉ. मोहन यादव के सामने भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। ऐसे में उन्हें पद से इस्तीफा देकर दोबारा चुनाव मैदान में उतरना चाहिए। वहीं दूसरी ओर हाल ही में विधानसभा में विधायक निर्मला सप्रे द्वारा दलबदल को लेकर जो जवाब दिया गया है, उसके बाद क्षेत्र की राजनीति में हलचल मच गई है। विधायक ने विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस के जवाब में दलबदल से इनकार किया था। उन्होंने कहा कि न तो उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है और न ही कांग्रेस छोड़ी है। जवाब के बाद उनके इस्तीफे को लेकर भी असमंजस बन गया है।

पुलिस के साथ झूमाझटकी, वाटर कैनन से खदेड़

इसके बाद गुरुवार को बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता सर्वोदय चौराहे पर एकत्रित हुए और विधायक के घर साईंधाम कॉलोनी जाने के लिए पैदल मार्च करते हुए निकले। सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन की टीम पहुंच गई। रास्ते में आंबेडकर तिराहे पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें रोक लिया। कांग्रेस नेताओं ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर जब विधायक निर्मला सप्रे के घर जाने का प्रयास किया तो पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। इसके बाद पुलिस के साथ उनकी झूमाझटकी हुई। इस पर भी जब कांग्रेसी नहीं माने, तब पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल करके उन पर पानी की बौछार की। काफी जद्दोजहद के बाद पुलिस ने सभी कांग्रेस नेताओं को पुलिस गाड़ी में बैठाया और थाने ले गई।

10 अक्टूबर को दिया जवाब

बता दें लोकसभा चुनाव से पहले बीना विधायक निर्मला सप्रे ने सीएम डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता लर थी। सीएम ने स्वयं उन्हें सदस्यता दिलाई थी। सदस्यता लेने के साथ ही निर्मला सप्रे ने विधायकी से इस्तीफा देने की बात कही थी। लेकिन अब तक विधायक ने इस्तीफा नहीं दिया, जिसको लेकर विधानसभा से उन्हें नोटिस देकर जबाव मांगा था। उन्होंने बीते 10 अक्टूबर को दिए गए जवाब में स्पष्ट कर दिया कि उन्होंने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया, जिससे साबित हो कि उन्होंने दल बदला है।

हाईकोर्ट जा सकती है कांग्रेस

इधर इस मामले में अब विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर को निर्णय लेना है। 21 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई हो सकती है, इसके बाद कांग्रेस को दल बदल के सबूत पेश करने को कहा जा सकता है। यदि सदस्यता निरस्त करने में देरी होती है तो कांग्रेस हाईकोर्ट भी जा सकती है।

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