
भोपाल। मंदसौर जिले के गांधीसागर अभयारण्य में अफ्रीकी चीतों की शिफ्टिंग के पहले भारी बारिश से इलेक्ट्रॉनिक तार फेंसिंग उखड़ने की सरकार जांच कराएगी। चीतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। फेंसिंग बहने से चीतों की शिफ्टिंग में और विलंब हो जाएगा क्योंकि मरम्मत के लिए बारिश थमने का इंतजार करना पड़ेगा। उधर, दिसंबर अंत तक चीते लाने की तैयारी है।
विभागीय सूत्रों का कहना है चीता शिफ्टिंग के बाद यदि फेंसिंग टूटती तो समस्या गंभीर हो जाती। वन विभाग और केन्याई विशेषज्ञों ने गांधीसागर अभयारण्य को सबसे मुफीद माना है। वन मंत्री राम निवास रावत ने अभयारण्य में भूज गांव और रावली कुड़ी के पास बाढ़ में फेंसिंग बहने का परीक्षण करने विशेषज्ञों की टीम भेजने का निर्णय किया है। घटना की पुनरावृत्ति रोकने के पुख्ता उपाय भी किए जाएंगे।
चीतों की सुरक्षा के लिए 10 फीट ऊंची फेंसिंग
देश में चीतों की दूसरी बसाहट के लिए गांधीसागर अभयारण्य के रामपुरा पठार क्षेत्र में वन विभाग जोर-शोर से तैयारी में जुटा है। चीतों की अगवानी के लिए यहां 64 वर्ग किमी के क्षेत्र में बाड़ाबंदी की जा रही है। चीतों का मूवमेंट इस इलाके में सीमित रखने के लिए 28 हजार मीटर से अधिक क्षेत्र में 10 फीट ऊंची तार फेंसिंग लगाई जा रही है। हाल ही में भारी बारिश और नाले में प्रेशर से आई बाढ़ के चलते भूज गांव के आस-पास दो स्थानों पर करीब 200 मीटर फेंसिंग फाउंडेशन सहित उखड़कर बह गए।
तकनीकी खामी से क्षति
निर्माण कार्य से जुड़े विशेषज्ञ इसे तकनीकी खामी बता रहे हैं। बताया जाता है कि सोलर पॉवर्ड इलेक्ट्रॉनिक तार फेंसिंग पर करीब 30 करोड़ का बजट रखा गया है। फेंसिंग निर्माण का काम ‘वाइल्ड लाइफ एंड फॉरेस्ट्री सर्विस’ नामक कंपनी के पास है। कूनो चीता प्रोजेक्ट में भी बाड़ाबंदी का काम इसी कंपनी को सौंपा गया था। बताया जाता है कि विभागीय सिविल इंजीनियर्स और कंपनी ने नाले के आसपास पानी के बहाव का सही अनुमान नहीं लगाया। केंद्र सरकार ने अफ्रीका वाइल्ड लाइफ एंड कंजरवेड साल्यूशन कंपनी को हिरण पकड़ने का काम सौंपा है।
गांधी सागर अभयारण्य में दिसंबर अंत तक आएंगे चीता
दिसंबर अंत तक चीतों की बसाहट होने की उम्मीद जताई जा रही है। तीन महीने पहले केन्या से आए 6 सदस्यीय विशेषज्ञों के दल ने चीता शिफ्टिंग के लिए गांधीसागर का दौरा किया था। दल के साथ नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के सदस्य भी थे। इसके बाद ही तैयारियों में तेजी लाई गई।
मुख्यमंत्री को भेजी जानकारी
मंदसौर के पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने बाड़े की जालियों के टूटने को गंभीर घटना बताते हुए कहा कि यदि चीते छोड़ने के बाद ऐसा होता तो स्थिति भयावह होती। उन्होंने सीएम डॉ मोहन यादव को शिकायती पत्र भी भेजा है।
ऐसी है चीतों की तैयारी
- 382 वर्ग किमी है पूरा इलाका।
- 64 वर्ग किमी में चीतों का बाड़ा।
- 28 हजार मीटर की फेंसिंग निर्माण।
- 400 चीतल और हिरण छोड़े गए।
- 900 हिरण और लाने की तैयारी।
नुकसान का परीक्षण कराएंगे: वन मंत्री
चीता छोड़ने के पहले गांधी सागर अभयारण्य में सभी सुविधाएं सुनिश्चित करेंगे। भारी बारिश से वहां की तार फेंसिंग डैमेज होने की जानकारी मिली है। विभाग की टीम को भेजकर नुकसान का परीक्षण करा रहे हैं। – राम निवास रावत, मंत्री वन विभाग