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ब्राजील के कलाकारों ने सांबा, रेट्रो, फिएस्टा सहित पांच लोक नृत्य किए परफॉर्म

रवींद्र भवन में लोकरंग कार्यक्रम, देश के 13 राज्य के कलाकारों ने प्रस्तुत किया लोक नृत्य

संस्कृति विभाग द्वारा जनजातीय और लोक कलाओं के 39वें राष्ट्रीय समारोह ‘लोकरंग’ कार्यक्रम का दूसरा दिन ब्राजील के कलाकारों के नाम रहा। देशान्तर में विदेशी सांस्कृतिक कलारूपों में संगीत एवं नृत्यों की प्रस्तुतियां दी जा रही है, जिसमें शनिवार को ब्राजील के कला दल ने पांच प्रस्तुतियां दी, इनमें लैटिन, सांबा, रेट्रो, फिएस्टा, कार्निवाल एवं सेंट्रल अमेरिका के नृत्य की कलाकारों ने जोरदार परफॉर्मेंस दी। इसके अलावा समारोह में आंचलिक गायन में बुंदेली कछियाई गायन, हरबोला गायन, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों के नृत्यों की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम की शुरुआत स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा तैयार कराई गई वृंदगान एवं मयूरभंज छाऊ से हुई। वृंदगान प्रस्तुति राग शुद्ध बिलावल पर आधारित रही। यूपी से आए रामरथ पांडेय ने आल्हा गायन की प्रस्तुति दी।

धरोहर में भारतीय संस्कृति के दर्शन, कलाकारों ने पेश किए देवारी, पंथी जैसे लोक नृत्य

धरोहर में मप्र एवं अन्य राज्यों के जनजातीय एवं लोकनृत्यों का प्रदर्शन किया गया, जिसमें मप्र सहित 13 राज्यों के नृत्यों की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में खजुराहो से आए गणेश रजक और साथी कलाकारों ने देवारी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। यह नृत्य श्रीराम नवमी पर किया जाता है। पं. खेमिल भोजाभाई एवं साथी, गुजरात के द्वारा होली हुडो रास डांडिया, श्रीके रमैया एवं साथी आंध्र प्रदेश द्वारा तपेट गुल्लू, बी. तकप्पा एवं साथी, कर्नाटक के कलाकारों द्वारा ढोलू कूनिथा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। वहीं गोकरण दास बघेल एवं साथी, छत्तीसगढ़ द्वारा पंथी नृत्य की प्रस्तुति दी।

मुखौटा नृत्य देख दर्शक हुए भावविभोर

रवींद्र लक्ष्मण भोये एवं साथी, महाराष्ट्र द्वारा सौंगी मुखौटा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। जसवंत भार्वे एवं साथी, डिंडोरी द्वारा गोंड जनजातीय गुदुम बाजा नृत्य की प्रस्तुति दी । ढुलिया जनजाति के कलाकारों द्वारा गुदुम, ढफ, मंजीरा, शहनाई, टिमकी आदि वाद्यों के साथ यह नृत्य किया जाता है।

शोध संगोष्ठी का हुआ शुभारंभ

रवींद्र भवन में शोध संगोष्ठी का शुभारंभ शनिवार को अयोध्या से आए आचार्य मिथिलेश नंदिनीशरण के मुख्य आतिथ्य में किया गया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता लेखक मनोज कुमार श्रीवास्तव ने की। श्री नंदिनीशरण ने कहा कि भारत की प्रतिष्ठा दो शब्दों पर है, संस्कृत और संस्कृति।

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