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हवलदार के दिए वो 1 हजार रु. आज भी मेरे पास किसी मैडल की तरह रखे हैं

विदाई समारोह: स्पेशल डीजी की सेवानिवृत्ति पर भावुक हुए पुलिस अधिकारी-कर्मचारी, अनुराधा शंकर ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा

विजय एस गौर-भोपाल। स्पेशल डीजी अनुराधा शंकर सिंह को विदाई देते हुए पुलिस परिवारों की आंखों में आंसू थे और उनके हाथों में मिस यू मैडम, गुड लक आदि के बैनर और पोस्टर थे। यह दृश्य था भौंरी पुलिस ट्रेनिंग अकादमी का, जहां पर शुक्रवार को आईपीएस अनुराधा शंकर सिंह के रिटायर होने पर परेड के साथ विदाई समारोह था। अनुराधा शंकर सिंह ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि होशंगाबाद में एसपी रहते अचानक ट्रांसफर हो गया, छुट्टियां भी कैंसिल हो गईं। तब एक हवलदार ने एक हजार रुपए देते हुए कहा कि ‘अब तो आपकी सेलरी भी नहीं बनेगी। इसलिए मेरी ओर से यह सादर आपको खर्च के लिए हैं’।

अनुराधा शंकर सिंह के अनुसार यह एक हजार रुपए आज भी उनके पास किसी मैडल की तरह सुरक्षित हैं। ये अधिकारी रहे मौजूद: कार्यक्रम में कमिश्नर ऑफ पुलिस हरिनारायणचारी मिश्र, डीआईजी विनीत कपूर, अमित सांघी, शौमित कुमार, डीसीपी रियाज इकबाल, एडीसी टू गर्वनर शशांक , कमांडेंट राजेश चंदेल, एडीशनल एसपी नीरज पांडे, मप्र के पुलिस ट्रेनिंग अकादमियों से एसपी रश्मि पांडे, उपनिदेशक मलय जैन भोपाल, अंजना तिवारी उज्जैन, सुमन गुर्जर तिघरा, निमिषा पांडे आदि मौजूद थे।

किस्सा विदिशा का: मेरे बराबर बैठो, तभी सुनूंगी बात

विदिशा एसपी रहते पुलिस के प्रति विश्वास जागरण के नतीजे में एक महिला मूंगफली की गठरी बांध कर पहुंच गई। यह प्रेम और विश्वास की अनूठी भेंट देकर महिला बोली, पहले मूंगफली खाओ तब, अपनी बात बताऊंगी। इस पर अनुराधा शंकर सिंह ने कहा कि पहले बैठो तब बात करुंगी, लेकिन महिला बराबर से बैठने को तैयार नहीं हुई। इस पर अनुराधा शंकर सिहं भी कुर्सी से उठी और बोली कि या तो तुम कुर्सी पर बैठकर बराबरी से बात करो या मै ही नीेचे बैठकर बात सुनूंगी। इसके बाद बमुश्किल महिला कुर्सी पर बैठकर बात करने को राजी हुई।

पढ़े-लिखे हो तो फिर पैर क्यों छू रहे हो…

आईजी प्रशासन रहते अनुराधा शंकर सिंह के बंगले में एक तख्ती लगी थी कि, कृपया पैर नही छुएं, पैर छूना मना है। हालांकि इसके उलट एक चाय ठेलेवाला यदा-कदा आता और पैर छूकर कुछ बातें करके चला जाता। ऐसे में जब कुछ प्रशासनिक और राजनीतिक लोग पहुंचे और पैर छूने लगे तो रोक दिया गया, जिस पर उनकी सवालिया आपत्ति थी कि, चाय वाला तो आपके पैर छूता है। इस पर उनका जवाब था कि, चाय का ठेला लगाने वाला पढ़ा-लिखा नहीं है, वह चेतावनी पढ़ नहीं सकता। इससे उसको रोक नहीं सकती, लेकिन तुम सब तो पढे लिखे हो।

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