अंतर्राष्ट्रीयताजा खबर

Monkeypox Cases : अफ्रीका में एमपॉक्स का प्रकोप, 500 प्रतिशत मामले बढ़े, 19 देश प्रभावित

अदीस अबाबा अफ्रीका में एमपॉक्स के पुष्ट मामलों में इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में 500 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, साथ ही प्रभावित देशों की संख्या बढ़कर 19 हो गई है। यह जानकारी अफ्रीका रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (अफ्रीका सीडीसी) ने दी।

एमपॉक्स से 1,048 से ज्यादा मौतें

अफ्रीका सीडीसी के चीफ ऑफ स्टाफ नगाशी नगोंगो ने ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि इस वर्ष की शुरुआत से अफ्रीका में 48,093 एमपॉक्स मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 10,372 की पुष्टि हुई है और 1,048 से ज्यादा मौतें हुई हैं। नगोंगो ने कहा कि जब हम (इस वर्ष रिपोर्ट किए गए पुष्टि किए गए मामलों) की तुलना 2023 से करते हैं, तो यह 500 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। स्थिति अभी भी नियंत्रण में नहीं है। मामले अभी भी आम तौर पर ऊपर जा रहे हैं।

मध्य अफ्रीकी क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित

मॉरीशस एमपॉक्स मामलों की रिपोर्ट करने वाला नवीनतम अफ्रीकी देश बन गया है, जिससे प्रभावित देशों की कुल संख्या 19 हो गई है। अफ्रीका सीडीसी के डेटा से यह भी पता चलता है कि मध्य अफ्रीकी क्षेत्र इस प्रकोप से सबसे अधिक प्रभावित है, जो सभी रिपोर्ट किए गए मामलों में से 85.7 प्रतिशत और 99.5 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है। पिछले सप्ताह में, अफ्रीकी महाद्वीप में 2,766 नए मामले दर्ज किए गए, जिनमें 1,254 की पुष्टि हुई, साथ ही 34 नई मौतें हुईं।

नगाशी नगोंगो ने कहा कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और बुरुंडी में सभी नए पुष्ट मामलों में से 94 प्रतिशत मामले हैं। एयू की विशेष स्वास्थ्य सेवा एजेंसी ने लाइबेरिया और युगांडा में एमपॉक्स के मामलों में हालिया वृद्धि पर भी चिंता व्यक्त की। नगोंगो के अनुसार, युगांडा में एमपॉक्स के तेजी से फैलने में योगदान देने वाले कुछ जोखिम कारक सीमा पार वाले वायरस और यौन संचरण से संबंधित हैं।

क्या है मंकीपॉक्स?

  • मंकीपॉक्स एक दुर्लभ और गंभीर वायरल बीमारी है। यह बीमारी एक ऐसे वायरस की वजह से होती है, जो स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है।
  • अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी। तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था। इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था। तब कॉन्गो के रहने वाले एक 9 साल के बच्चे में ये संक्रमण मिला था। 1970 के बाद 11 अफ्रीकी देशों में इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के मामले सामने आए थे।
  • दुनिया में मंकीपॉक्स का संक्रमण अफ्रीका से फैला है। 2003 में अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे। सितंबर 2018 में इजरायल और ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे। मई 2019 में सिंगापुर में भी नाइजीरिया की यात्रा कर लौटे लोगों में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी।
  • मंकीपॉक्स को लेकर इंग्लैंड की एजेंसी यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) ने कहा है कि अब मंकीपॉक्स का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होने लगा है।

क्या हैं इसके लक्षण?

  • मंकी पॉक्स के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं।
  • मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 5 से 21 दिन तक का हो सकता है। इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे।
  • मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है।
  • बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है। शरीर पर दाने निकल आते हैं। ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं।

संबंधित खबरें...

Back to top button