जबलपुरमध्य प्रदेश

जिस भातखंडे संगीत महाविद्यालय को तोड़ा जाना है उसका एक मंजिला भवन पैसों से नहीं संघर्ष और साधना से तैयार हुआ था

बड़े गुलाम अली, बेगम अख्तर,उस्ताद अमीर खां, शांता आप्टे, पं रविशंकर के हुए थे शहर में कार्यक्रम

जबलपुर. बेहद कठिन परिश्रम के बाद भातखंडे संगीत महाविद्यालय का एक मंजिला भवन तैयार हुआ था। इसके लिए दादा सखाराम देशपांडे ने अपने सहयोगियों के साथ त्रिस्तरीय योजना बनाकर इसे कार्यरूप में अमल में लाया था। इसमें पहले बड़े कलाकारों को शहर बुलवाकर इनका टिकट से कार्यक्रम करवाना, संपन्न वर्ग से जनसहयोग लेकर राशि लेना और भातखंडे टीम के द्वारा शहर के विभिन्न कॉलेजों या स्थलों पर जाकर पेड कार्यक्रम करने जैसे उपाय इस्तेमाल किए गए थे, तब जाकर महाविद्यालय का एकमंजिला भवन तैयार हो पाया था।

ये दिग्गज कलाकार आए थे शहर

बड़े कलाकारों में आजादी के बाद जिन्होंने शहर में आकर अपनी प्रस्तुतियां दीं उनमें बड़े गुलाम अली खां, उस्ताद अमीर खां, बेगम अख्तर, शांता आप्टे, पं रविशंकर जैसे कलाकारों ने अपनी फीस लेकर आना मंजूर किया था। इसके लिए टिकट भी निर्धारित किया गया। कलाकारों की फीस देकर और व्यवस्थाओं में राशि खर्च होने के बाद भी कुछराशि भातखंडे संगीत महाविद्यालय के निर्माण के लिए बच जाती थी।

शहर से लिया गया जनसहयोग

शहर में संपन्न वर्ग से भातखंडे की टीम ने दादा देशपांडे के नेतृत्व में घर-घर जाकर संपर्क किया और इससे भी काफी राशि एकत्र हुई। पुराने लोग जो इस काम में शामिल हुए थे उनमें साधना उपाध्याय जो कि उस वक्त विद्यालय की छात्रा थीं और इसी तरह ख्यात गायक कलाकार कुलजीत सिंह भी इस मुहिम में शामिल रहे। बलवंत राव हर्षे, सुशील कुमार पटेरिया, विष्णु दयाल अग्रवाल आदि ऐसे कई नाम हैं जिन्होंने महाविद्यालय के भवन के लिए सहयोग प्रदान किया था।

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शिक्षकों व विद्यार्थियों ने भी दिया आर्थिक सहयोग

जज्बा ऐसा कि एक शिक्षक तो ऐसे रहे जो बिना वेतन लिए शिक्षण कार्य करते रहे। इनका नाम था रामदयाल धनोपिया, ये आजीवन बिना वेतन लिए शिक्षण कार्य करते रहे। और भी ऐसे शिक्षक थे जो अपने वेतन में से राशि दान में देते थे। इसके अलावा जो विद्यार्थी उच्च स्तर पर अंक लाते वे भी आर्थिक सहयोग देते थे।

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जब दादा देशपांडे की जीएस कॉलेज में हुई हूटिंग

तीसरे उपाय में भातखंडे की टीम पेड कार्यक्रम दिया करती थी, विभिन्न समारोहों में फीस लेकर वह अपने शास्त्रीय गायन, शास्त्रीय  नृत्य की प्रस्तुतियां दिया करती थी। ऐसे ही एक कार्यक्रम जो कि जीएस कॉलेज में आयोजित था में जब दादा देशपांडे अपने शास्त्रीय गायक की प्रस्तुति दे रहे थे तो तत्कालीन छात्रों ने उनकी हूटिंग कर दी और उन्हें अपने तानपूरे सहित प्रस्तुति रोककर वापस आना पड़ा। जब उनसे महाविद्यालय के तत्कालीन विद्यार्थियों ने कहा कि हूटिंग से वे व्यथित हैं तो दादा ने मुस्कराते हुए कहा था कि इसकी चिंता मत करो, हमें अपने महाविद्यालय के लिए राशि का इंतजाम करना है।

मैं जीएस कॉलेज में उस कार्यक्रम में शामिल थी। जब दादा की हूटिंग हुई तो बहुत व्यथित थी मगर दादा ने हमारा उत्साह बढ़ाते हुए कहा था कि संकल्प प्राप्ति में ऐसी बाधाएं आती रहती हैं, इससे निराश न हों और अपना काम करते रहें।
साधना उपाध्याय,पूर्व विद्यार्थी,गायक कलाकार।

मुझे उस वक्त महाविद्यालय के भवन के लिए  कलेक्शन कार्य में जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। लोगों ने बहुत सहयोग दिया था। बड़े-बड़े कलाकार शहर आए और उन्होंने अपनी प्रस्तुतियां दी थीं। वह दौर अब याद करते हैं तो रोमांच होता है।
कुलजीत सिंह, प्रख्यात गायक कलाकार।

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