इंदौर। देश का पहला भिक्षावृत्ति मुक्त शहर बनाने के लक्ष्य के तहत इंदौर प्रशासन ने एक अनूठी इनामी योजना शुरू की है। इस योजना के तहत भिक्षावृत्ति की सही सूचना देने वाले लोगों को 1,000 रुपए का इनाम दिया जा रहा है। प्रशासन का यह कदम न केवल भिक्षावृत्ति पर रोक लगाने बल्कि जरूरतमंदों के पुनर्वास में मदद करने के लिए भी उठाया गया है।
शहर में भीख मांगना और देना कानूनन अपराध
जिलाधिकारी आशीष सिंह के अनुसार, दो जनवरी को जारी किए गए प्रतिबंधात्मक आदेश में यह प्रावधान किया गया है कि शहर में भीख मांगना, देना या भिखारियों से कोई सामान खरीदना कानूनन अपराध होगा। इस नियम के उल्लंघन पर दोषियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस प्रावधान में एक वर्ष तक की सजा या 5,000 रुपए तक जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
प्रोत्साहन राशि देकर किया सम्मानित
प्रशासन ने भिखारियों की जानकारी देने के लिए एक विशेष मोबाइल नंबर भी जारी किया है। इस नंबर पर पिछले चार दिनों में करीब 200 कॉल प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 12 लोगों की सूचना जांच में सही पाई गई है। सोमवार को इन 12 में से 6 लोगों को जिलाधिकारी कार्यालय में 1,000-1,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया गया।
भिखारियों का पुनर्वास भी प्राथमिकता
अधिकारियों ने बताया कि पिछले चार महीनों में शहर में भिक्षावृत्ति में शामिल करीब 400 लोगों को पुनर्वास के लिए आश्रय स्थल भेजा गया है, जबकि 64 बच्चों को बाल देखरेख संस्थानों में भेजा गया। प्रशासन का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य केवल भिक्षावृत्ति को रोकना नहीं, बल्कि इन लोगों को समाज की मुख्यधारा में वापस लाना है।
इंदौर बना पायलट प्रोजेक्ट का हिस्सा
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की पायलट परियोजना के तहत इंदौर देश के उन 10 शहरों में शामिल है, जिन्हें भिक्षुकमुक्त बनाया जा रहा है। प्रशासन को उम्मीद है कि यह मॉडल देश के अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकता है। इस योजना को लेकर शहर के नागरिकों में काफी उत्साह देखा जा रहा है।
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