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तेलंगाना के पूर्व CM केसीआर की बेटी के.कविता को ED ने लिया हिरासत में, दिल्ली शराब घोटाले केस में कार्रवाई, हैदराबाद स्थित घर पर मारी रेड

नई दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाला में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर की बेटी और विधायक के.कविता को हिरासत में ले लिया है। उन्हें पूछताछ के लिए हैदराबाद से दिल्ली लाया जा रहा है। ईडी ने बीआरएस नेता कविता के हैदराबाद स्थित घर पर छापेमारी की थी।। कविता ने जांच एजेंसी के कई समन नजरअंदाज किए थे, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है। कविता तेलंगाना में विधान परिषद (MLC) की सदस्य हैं ।

इससे पहले शुक्रवार को ही ईडी की टीम ने हैदराबाद में के. कविता के आवास पर रेड मारी थी। इस दौरान ईडी की टीम के साथ इनकम टैक्स के अधिकारी और बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी भी थे।

साउथ ग्रुपसे जुड़ी होने का आरोप

दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक आरोपी अमित अरोड़ा ने पूछताछ के दौरान कविता का नाम लिया था। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि ‘साउथ ग्रुप’ नाम की एक शराब लॉबी थी, ईडी ने दावा किया था कि कविता शराब कारोबारियों की लॉबी ‘साउथ ग्रुप’ से जुड़ी हुई थी। उन्होंने अन्य कारोबारियों के जरिए दिल्ली में AAP सरकार के नेताओं को 100 करोड़ रुपए का भुगतान किया।

कविता के पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट को भी किया था गिरफ्तार

इससे पहले के. कविता ने अपने पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट बुचिबाबू गोरंटला और अरुण रामचंद्र पिल्लई का लिखित बयान जारी किया था, जो नायर और अन्य के साथ विभिन्न बैठकों में उनके साथ जाते थे। केंद्रीय जांच बोर्ड ने बुचिबाबू को फरवरी में गिरफ्तार किया था, जबकि पिल्लई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल मार्च में गिरफ्तार किया था। ED को दिए बयान में बुचिबाबू ने माना था कि के. कविता की दिल्ली  के सीएम अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया के साथ राजनीतिक गठजोड़ था। बुचिबाबू ने यह भी माना था कि कविता मार्च 2021 में विजय नायर से मिली थीं।

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली में केजरीवाल की सरकार में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया था। 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई। नई शराब नीति लागू करने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई। नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार का रेवेन्यू में बढ़ेगा। नई नीति से रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई थी।

नई पॉलिसी में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकानें पहले की तरह 850 ही रहेंगी। हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही। जब बवाल ज्यादा बढ़ गया, तब 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी। मामले में सीबीआई को जांच ट्रांसफर दी गई। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई। उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए।

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