
हेमंत नागले, खंडवा। सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आते हुए तो अब तक आपने कई लोगों को देखा होगा। लेकिन, राजनीति को त्यागकर शिक्षा के क्षेत्र में उजियारा फैलाने की ऐसी चाह शायद पहली बार देखेंगे।
दरअसल, मध्य प्रदेश के खंडवा में एक महिला ने सरपंच पद को त्यागकर शिक्षिका के रूप में अपनी नई राह चुनी है। खासतौर से आदिवासी बच्चों के जीवन को बदलने की चाह उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में खींच लाई है। सरपंच से शिक्षिका बानी महिला प्रदेश के दमोह जिले के सैजरा लखरौनी गांव की सरपंच थी, जो अब एक शासकीय शिक्षिका बन गई है।
सरपंची छोड़ शिक्षिका बनी सुधा
मध्य प्रदेश के दमोह जिले एक छोटे से ग्राम सैजरा लखरौनी में सरपंच रही सुधा सिंह अब सरपंची छोड़ शासकीय शिक्षिका बन गई है। हिंदी में सुधा का अर्थ अमृत होता है। यानी अपने नाम के अर्थ के अनुरूप ही अब सुधा उन बच्चों के जीवन में शिक्षा रूपी अमृत घोलेंगी, वह भी ठेठ आदिवासी अंचल में रहते हैं। दरअसल, सुधा अब तक दमोह के पथरिया के अंतर्गत ग्राम पंचायत सैजरा लखरौनी में सरपंच पद रहीं हैं। लेकिन, वह कुछ कर गुजरना चाहती थी।
सरपंची एक गांव का ही विकास कर पाती : सुधा
ऐसे में उसने शिक्षा विभाग अंतर्गत वर्ग 3 में शिक्षिका के पद की परीक्षा दी और उसका चयन भी हो गया है। सुधा को खंडवा जिले के आदिवासी ब्लॉक खालवा के गुलाई माल में स्थित आश्रम स्कूल में पदस्थापना मिली है। सुधा कहना है कि सरपंच रहकर तो मैं एक गांव का ही विकास कर पाती। लेकिन, अब शिक्षिका बनकर कई बच्चों के जीवन में बदलाव ला सकूंगी। आदिवासी बच्चों के बीच रहकर उनके भविष्य का निर्माण करना है। सुधा ने सरपंच रहते हुए अपने गांव के विकास के लिए भी अनेकों कार्य किए हैं।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) April 20, 2023
दमोह से आई थी महिला : पांडेय
आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त विवेक कुमार पांडेय ने बताया कि एक महिला हमारे विभाग में ज्वॉइन करने दमोह से आई थी। उसके दस्तावेज चेक करते हुए पता चला कि उसमें इस्तीफा रखा हुआ है। इस्तीफा किसी सरकारी नौकरी से नहीं, बल्कि सरपंच पद से इस्तीफा दिया हुआ था। सहायक आयुक्त विवेक कुमार पांडेय ने बताया कि जब महिला से बातचीत की तो पता चला कि दमोह के एक गांव में सरपंच बनी थी।
बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहती है सुधा : पांडेय
महिला ने उन्हें बताया कि वह निर्विरोध सरपंच बनी थी। महिला ने बकायदा परीक्षा देकर यह पद प्राप्त किया है। उन्होंने आदिवासी विकास विभाग ने अपनी जॉइनिंग दी है। महिला से बातचीत के दौरान मैं खुद भी इस बात से प्रभावित हुए की महिला खुद आदिवासी है और वह आदिवासी बालिकाओं और बालक को को बेहतर शिक्षा देना चाहती है। मुझे उम्मीद है कि वह यहां भी बेहतर काम करेगी।