
होशंगाबाद। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के तवा जलाशय को रामसर साइट का दर्जा प्राप्त हुआ है। इस मान्यता के साथ ही यह जलाशय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण वेटलैंड (आर्द्रभूमि) के रूप में पहचाना जाएगा। यह दर्जा जैव विविधता संरक्षण, पर्यावरण संतुलन और स्थानीय समुदायों की आजीविका को बढ़ावा देने में सहायक होगा।
भोपाल स्थित एप्को ऑडिटोरियम में आयोजित एक समारोह में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने रामसर साइट प्रमाण पत्र ग्रहण किया। इस मौके पर उप संचालक पूजा नागले, सहायक संचालक अंकित जामोद और मढ़ई रेंजर पीएन ठाकुर उपस्थित रहे।
क्या है रामसर साइट का दर्जा
रामसर साइट का दर्जा अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों को दिया जाता है। यह मान्यता 1971 में ईरान के रामसर शहर में हुई रामसर संधि के तहत दी जाती है। इस संधि का उद्देश्य वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) का संरक्षण और उनका सतत विकास सुनिश्चित करना है।
रामसर साइट घोषित होने के लाभ
- जैव विविधता संरक्षण: यह दर्जा तवा जलाशय की पारिस्थितिकी और जलचर जीवों के संरक्षण में मदद करेगा।
- पर्यावरण संतुलन: इससे जलाशय की पारिस्थितिकीय व्यवस्था को बनाए रखने में सहायता मिलेगी।
- स्थानीय समुदायों को लाभ: जलाशय से जुड़े मछुआरे और अन्य स्थानीय समुदायों को आर्थिक रूप से फायदा मिलेगा।
- पर्यटन और अनुसंधान को बढ़ावा: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने से क्षेत्र में पर्यटन और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।
- अंतरराष्ट्रीय सहायता: संरक्षण प्रयासों के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता मिलने की संभावनाएँ बढ़ेंगी।
तवा जलाशय, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का अभिन्न हिस्सा
तवा जलाशय, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और मढ़ई पर्यटन क्षेत्र का एक अभिन्न हिस्सा है। यह जलाशय अनेक जलचर और पक्षी प्रजातियों का प्राकृतिक निवास स्थान है। यहाँ हर साल प्रवासी पक्षी भी बड़ी संख्या में आते हैं, जिससे इसका पारिस्थितिकी तंत्र और अधिक समृद्ध होता है।
अब, रामसर साइट घोषित होने के बाद, इस क्षेत्र का संरक्षण और बेहतर तरीके से किया जाएगा। इससे वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास की रक्षा होगी और जलाशय की सतत विकास नीतियाँ लागू की जा सकेंगी।
भोपाल के एप्को ऑडिटोरियम में आयोजित एक भव्य समारोह में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने रामसर साइट प्रमाण पत्र ग्रहण किया।