
भोपाल। भविष्य में अंतरिक्ष यानों को भेजने के लिए मीथेन गैस का इस्तेमाल ईंधन के रूप में किया जाएगा। इसके लिए नए इंजनों का निर्माण किया जा रहा है। चंद्रमा और मंगल ग्रह पर भेजे जाने वाले यानों में भी मीथेन गैस का उपयोग किया जाएगा। यह भविष्य का ईंधन है, जिसका इस्तेमाल कई तरह से लाभकारी रहेगा।
यह बात अंतरिक्ष विज्ञान विभाग के सचिव और इसरो के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ ने कही। वह मैनिट में आयोजित चार दिवसीय 8वें अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के अंतिम दिन मंगलवार को ‘फेस-टू-फेस विथ न्यू फ्रंटियर्स इन साइंस’ विषय पर आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। डॉ. सोमनाथ ने कहा कि टूरिज्म व्हीकल का निर्माण किया जा रहा है। अंतरिक्ष में यात्रा का आनंद लेने के लिए करीब 6 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे। व्याख्यान को इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी (इन्सा) के ईडी डॉ. अरविंद रानाडे ने भी संबोधित किया।
भविष्य में कंप्यूटर से नियंत्रित होगा युद्ध
डॉ. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान में रिसर्च का उद्देश्य मानव समाज की भलाई रहा है। गगनयान इसी वर्ष अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। अंतरिक्ष विज्ञान के रणनीतिक उपयोगों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य में युद्ध कंप्यूटर नियंत्रित होगा। आगामी 25 वर्षों के स्पेस साइंस का रोडमैप तैयार कर लिया गया है।
खेती में भी बढ़ा विज्ञान का महत्व : तोमर
विज्ञान महोत्सव के समापन कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत को जो स्थान प्राप्त हुआ है, उसमें विज्ञान की अहम भूमिका रही है। आज खेती-किसानी के क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व बढ़ गया है। पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञान में रिसर्च को महत्व दिया जा रहा है। भारत सरकार ने विज्ञान को प्राथमिकता दी है। 2014 में विज्ञान का बजट 2,000 करोड़ रुपए था, जिसे बढ़ाकर 6,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इसरो के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी से ही भारत को शक्तिशाली बनाया जा सकता है। इस अवसर पर मैपकास्ट के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी भी मौजूद थे।