
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इस साल लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ऐलान किया कि रेपो रेट में 0.35% का इजाफा किया गया है। इससे रेपो रेट 5.90% से बढ़कर 6.25% हो गई है। इसके साथ ही अब होम लोन समेत सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे और लोगों को ज्यादा EMI चुकानी होगी।
पांचवीं बार कर्ज हुआ महंगा
मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। इस वित्त वर्ष की आखिरी मीटिंग में रेपो रेट में ताजा बढ़ोतरी के बाद दर 6.25 फीसदी पर आ गई है। इस साल केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में कुल 2.25 फीसदी का इजाफा किया है।
- इस वित्त वर्ष की पहली मीटिंग अप्रैल में हुई थी, तब RBI ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा था। लेकिन RBI ने 2 और 3 मई को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट को 0.40% बढ़ाकर 4.40% कर दिया था।
- 6 से 8 जून को हुई मीटिंग में रेपो रेट को 0.50% बढ़ाकर 4.90% कर दिया गया।
- अगस्त में इसे 0.50% बढ़ाया गया जिससे ये 5.40% पर पहुंच गई।
- सितंबर में ब्याज दरें 5.90% हो गईं। अब दिसंबर में हुई मीटिंग के बाद ब्याज दरें 6.25% पर पहुंच गई हैं।
- RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हमारा लक्ष्य देश में महंगाई दर को 6 फीसदी के तय टारगेट के नीचे लाना है।
मॉनेटरी पॉलिसी की बड़ी बातें
- महंगाई अभी भी चिंता का कारण बना हुआ है।
- बैंक क्रेडिट में 8 महीने से डबल डिजिट ग्रोथ जारी।
- रेपो रेट में 0.35% की बढ़ोतरी।
- रेपो रेट 5.90% से बढ़कर 6.25% हुई।
- अगले 12 महीने तक महंगाई 4% से ऊपर रहने की संभावना।
- MPC के 6 में से 5 सदस्य दरें बढ़ाने के पक्ष में।
- MPC के 6 में से 4 सदस्य अकोमोडेटिव रुख वापस लेने के पक्ष में।
- ग्रोथ में निजी खपत, निवेश की अहम भूमिका।
- ग्रामीण मांग में सुधार देखने को मिल रहा है।
- महंगाई काबू में रखने के लिए मॉनेटरी कदम उठाने का फैसला।
- FY23 में महंगाई दर अनुमान 6.7% पर बरकरार।
- FY23 में GDP ग्रोथ अनुमान 7% से घटाकर 6.8% किया।
महंगी होगी EMI!
आरबीआई के इस फैसले के बाद होम लोन से लेकर कार लोन और एजुकेशन लोन का महंगा होना तय है। वहीं, जिन लोगों ने पहले से होम लोन लिया हुआ है उनकी ईएमआई और महंगी हो जाएगी। आरबीआई गर्वनर ने रेपो रेट में बढ़ोतरी का फैसला मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद लिया है।
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क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट ?
जानकारी के मुताबिक, रेपो रेट वे दर है जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। बता दें कि रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। जबकि रिवर्स रेपो रेट इसके उलट होता है। रिवर्स रेपो रेट वे दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा पर RBI से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजार में लिक्विडिटी कंट्रोल किया जाता है।
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