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डरें नहीं पर सचेत रहें, 1 साल ही रहता है वैक्सीन का असर

मप्र में 6 करोड़ लोगों को लगी है कोविशील्ड

भोपाल। कोविड वैक्सीन बनाने वाली ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्रोजेनेका ने कोर्ट में दिए हलफनामे में स्वीकारा है कि उसकी वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम या थ्रोम्बोसिस) जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। एस्ट्रोजेनेका के फॉर्मूले पर ही भारत में कोविशील्ड वैक्सीन तैयार की गई है। इस खबर के सामने आने के बाद कोविशील्ड लगवाने वालों की चिंता बढ़ गई है। ये लोग अब डॉक्टरों से सलाह ले रहे हैं कि उन्हें भी तो हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक का खतरा तो नहीं है। इसके अलावा लोग एकदूसरे से भी अपनी चिंता साझा कर रहे हैं।

हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन सचेत रहना जरूरी है, अगर थ्रोम्बोसिस जैसे कोई लक्षण होते हैं तो तत्काल चिकित्सकों से सलाह लें। स्वास्थ विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश में करीब 6 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन के 13 करोड़ से ज्यादा डोज लगाए गए थे। इनमें से करीब 5.90 करोड़ लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई थी। वहीं राजधानी भोपाल में 23 लाख लोगों में से 19 लाख लोगों को कोविशील्ड के 39 लाख डोज लगे हैं।

चिंता इसलिए… जानलेवा हो सकते हैं खून के थक्के

डॉक्टरों के अनुसार, ब्लड क्लाटिंग जानलेवा हो सकती है। अगर यह दिल, दिमाग या फेफड़ों की ओर जाने वाली रक्त वाहिनियों में अटक जाए, तो जान भी जा सकती है। इसस हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और पल्मोनरी एम्बोल्ज्मि हो सकता है।

थक्के जमने के लक्षण

तेज व लगातार सिरदर्द, सांस फूलना, सीने में दर्द, पैरों में सूजन, लंबे समय तक पेट दर्द होना, शरीर का हिस्सा नीला पड़ना, दौरा पड़ना आदि।

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मध्य प्रदेश की स्थिति

कुल डोज      13.39 करोड़
फर्स्ट डोज     6.07 करोड़
सेकेंड डोज   5.39 करोड़
बूस्टर डोज    1.39 करोड़

कौन सी वैक्सीन के कितने डोज

कोविशील्ड   10.50 करोड़
कोवैक्सीन     2.23 करोड़
कोरबोवैक्स   41.22 लाख

भोपाल की स्थिति- कौन सी वैक्सीन के कितने डोज

कोविशील्ड     39.52 लाख
कोवैक्सीन      8.55 लाख
स्पूतनिक वी   2,937
कोरबोवैक्स    87,230
कोवोवैक्स      37

इन वैक्सीन का असर एक साल से ज्यादा नहीं होता। इसी वजह से बूस्टर डोज लगाने की सलाह दी जा रही थी। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि हम पूरी तरह निश्चिंत हो जाएं। अपने हार्ट का पूरी तरह से ख्याल रखें और थोड़ भी लक्षण पता चलने पर डॉक्टरों की सलाह जरूर लें। -डॉ. किसलय श्रीवास्तव, हृदय रोग विशेषज्ञ

इससे पैनिक होने वाली बात नहीं है। वैक्सीन के जो भी साइड इफेक्ट हैं, वह 6 माह से एक साल के बीच आए थे। तब हमारे पास भी अचानक मरीजों की संख्या बढ़ गई थी। अगर तब यह जानकारी सामने आती, तो ज्यादा डर रहता। हमें नियमित दिल की जांच कराना चाहिए, जिससे खतरा टल सके। – डॉ. अजय शर्मा, प्रोफेसर, कार्डियोलॉजी, जीएमसी

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