
बजट में भले ही क्रिप्टो से होने वाली आय पर 30 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की गई हो, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि सरकार फिलहाल इसे लीगलाइज कर देगी। वहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने कहा है कि यह पोंजी स्कीम से भी बुरा है। भारत के लिए शायद सबसे अच्छा क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाना होगा। उन्होंने इसे सिस्टम और बैंकिंग के लिए खतरा बताया है।
क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाना सबसे उचित विकल्प- टी रवि शंकर
शंकर ने भारतीय बैंक संघ के 17वें वार्षिक बैंक प्रौद्योगिकी सम्मेलन और पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि, Cryptocurrency का मकसद ही सरकारी सिस्टम को दरकिनार करना है। यह किसी भी तरह से करेंसी, असेट या कमोडिटी नहीं है। इससे सरकार की इकोनॉमी कंट्रोल करने के सिस्टम में भी दिक्कत होगी। यह करेंसी सिस्टम, मॉनिटरी अथॉरिटी, बैंकिंग के लिए खतरा है।
इन सभी कारकों को देखते यह निष्कर्ष निकलता है कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना शायद भारत के लिए सबसे उचित विकल्प है।
इसपर नियंत्रण रखना संभव नहीं
RBI के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि यह डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम्स है। इसे बैंकिंग सिस्टम को दरकिनार करने के लिए बनाया गया है। जहां भागीदार ही आपसी सहमति से ट्रांजैक्शन करते हैं। इसपर नियंत्रण रखना संभव नहीं है, सरकार न तो इनका पता लगा सकती है और न उन्हें जब्त या फ्रीज कर सकती है।
ट्रांजैक्शन का उद्देश्य साफ नहीं
क्रिप्टो में भले ही लेन-देन वेरिफाइड हो लेकिन ये गुमनाम हैं। इसके ट्रांजैक्शन के उद्देश्य का भी पता नहीं चल पाता। Cryptocurrency बॉर्डरलेस है, बिना किसी फिजिकल एक्सिस्टेंस के ये इंटरनेट पर काम करते हैं।
जल्द आएगा आरबीआई का डिजिटल रुपया
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का डिजिटल रुपया लाने पर बजट में मुहर लग चुकी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी बजट स्पीच में जानकारी दी थी कि आरबीआई अपनी डिजिटल करेंसी वित्त वर्ष 2023 में लाएगा। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी से आई आमदमी पर 30 फीसदी का टैक्स लगाए जाने की भी बात कही।
क्या है पोंजी स्कीम
पोंजी स्कीम, पिरामिड स्कीम, मल्टी लेवल मार्केटिंग या नेटवर्क मार्केटिंग सिस्टम यह ऐसा धंधा या बिजनेस है, जिसके जरिये लोगों को सपने दिखाकर लूटा जाता है। यह एक तरह से सुनियोजित (well planned) कॉरपोरेट ठगी का मॉडल है। इसमें निवेशकों को भारी भरकम रिटर्न (कई बार सौ फीसदी तक) का लालच देकर निवेश कराया जाता है। लेकिन, आखिरकार ऐसी स्कीम लाने वाली कंपनियां या फर्म कुछ महीनों या सालों में निवेशकों का लाखों-करोड़ों लेकर रफूचक्कर हो जाती हैं।
पोंजी स्कीम की उत्पत्ति
‘पोंजी स्कीम’ शब्द को 1919 में चार्ल्स पोंजी नामक एक स्विंडलर के नाम पर गढ़ा गया था। जिसने प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद यूरोपीय मौद्रिक व विनिमय अव्यवस्था का फायदा उठाया और उसी उद्देश्य से उसने एक स्कीम शुरू की। इस स्कीम में उसने 45 दिन में प्रत्येक निवेशक को 50 फीसदी तक रिटर्न देने का लालच दिया। जिसके बाद हजारों निवेशकों का पैसा लेकर गायब हो गया।
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क्रिप्टोकरेंसी को वित्तीय मान्यता देने पर वित्त मंत्री
हालांकि इससे ये संभावना जताई जाने लगी कि क्रिप्टोकरेंसी को देश में मान्यता दी जा रही है। लेकिन हाल ही में संसद में वित्त मंत्री ने इस बात को साफ कर दिया कि क्रिप्टोकरेंसी को वित्तीय मान्यता नहीं दी जा रही है।